नई दिल्ली, 29 अप्रैल . सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा 2016 में शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों पर की गई 25,753 नियुक्तियों को रद्द करने के कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
हालांकि, सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगली तारीख तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा राज्य सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, जो सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन को मंजूरी देने में शामिल थे. पीठ में न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे.
पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर सोमवार को आगे की सुनवाई करेगी.
पीठ ने याचिकाकर्ता पक्ष से यह दिखाने के लिए भी कहा कि क्या राज्य के माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में नौकरियों की विभिन्न श्रेणियों के लिए 2016 में सूचीबद्ध सभी 25,753 व्यक्तियों की वैध नियुक्तियों को अलग करने के लिए कोई द्वितीयक सामग्री उपलब्ध है.
पिछले सप्ताह अपने एक आदेश में, कलकत्ता हाईकोर्ट ने शिक्षकों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था और उन्हें चार सप्ताह के भीतर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पूरा वेतन वापस करने को कहा था.
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश देने के अलावा, न्यायमूर्ति देबांगसु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को भी मामले में अपनी जांच जारी रखने का निर्देश दिया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुपर-न्यूमेरिक पदों के सृजन के राज्य कैबिनेट के फैसले पर संज्ञान लेते हुए कहा कि यदि आवश्यक हो तो सीबीआई रिक्त पदों से अधिक सीटों के सृजन के पीछे के मास्टरमाइंड से पूछताछ कर सकती है.
ऐसा माना जाता है कि ये सुपर-न्यूमेरिक पद, जो शुरू से ही संदेह के घेरे में रहे हैं, अवैध रूप से भर्ती किए गए अयोग्य उम्मीदवारों के लिए सृजित किए गए.
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