नई दिल्ली, 25 अप्रैल . अभिनय की दुनिया में तीन दशक से अधिक समय बिताने वाले बंगाली सुपरस्टार प्रोसेनजीत चटर्जी को आज भी अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव महसूस होता है.
300 से अधिक फिल्मों में काम करने के बाद भी एक्टर को एक नई फिल्म की रिलीज के साथ घबराहट महसूस होती है, क्योंकि उन्हें हर बार पहली फिल्म की तरह महसूस होता है.
बुम्बा दा के नाम से मशहूर प्रोसेनजीत ने बाल कलाकार के रूप में अपनी यात्रा हृषिकेश मुखर्जी की ‘छोट्टो जिज्ञासा’ से शुरू की. उन्हें सफलता 1987 में सुजीत गुहा की ‘अमर संगी’ से मिली, जिसके बाद सुर्खियों ने उनका साथ कभी नहीं छोड़ा.
सिनेमा में उन्हें जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, उसके बावजूद उन्हें अब भी इसका हर हिस्सा पसंद है.
अपनी पिछली सफलताओं को देखते हुए एक हिट फिल्म देने का दबाव महसूस करने के बारे में पूछे जाने पर प्रोसेनजीत ने को बताया, ”हां किसी भी तरह की फिल्म करने का दबाव हमेशा रहता है, चाहे वह हिट हो या फिर समीक्षकों द्वारा प्रशंसित हो. लेकिन, किसी भी तरह की फिल्म जब रिलीज होती है तो यह एक दबाव होता है.”
उन्होंने कहा, ”चाहे मैंने 348-349 फिल्में की हों, लेकिन आज भी मुझे अपनी हर रिलीज पहली फिल्म के रिलीज होने जैसी लगती है.”
एक्टर ने कहा, ”मैं हमेशा दबाव में रहता हूं. हम जैसे लोग जो इतने लंबे समय से सिनेमा उद्योग में हैं, यह नहीं कह सकते कि हम बहुत खास हैं. लेकिन, मैं जितना संभव हो सके सही चीजें करने की कोशिश करता हूं.”
प्रोसेनजीत ने जोर देकर कहा कि दबाव है, लेकिन, सही कहानी या निर्देशक की पटकथा का पता लगाने के लिए मैं जानता हूं कि मेरे दर्शकों को यह पसंद आएगी, आलोचकों या सिनेमा को समझने वाले लोगों द्वारा कहीं न कहीं इसका उल्लेख किया जाना चाहिए, मैं दोनों को पूरा करने की कोशिश करता हूं.”
उन्होंने शेयर किया, “मैंने प्रतिदिन 18 घंटे केवल खोज में बिताए, काम नहीं किया, केवल यह पता लगाने में जुट गया कि मुझे क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.”
क्या वह सिनेमा में अपनी सफलता से खुश हैं, या वह इसे किसी और तरीके से करेंगे?
‘चोखेर बाली’, ‘शोब चरित्रो कालपोनिक’, ‘ऑटोग्राफ’, ‘मोनर मानुष’ और ‘जातिश्वर’ में काम कर चुके एक्टर ने कहा, “यात्रा जैसी होती है, वैसे ही सामने आती है. कोई भी किसी भी पेशे में गणना नहीं कर सकता है.”
उन्होंने कहा, ”सबसे पहले मेरा मानना है कि आपको उस पेशे से प्यार करना शुरू करना होगा, जब मैं एक मुख्यधारा कलाकार था, तब मेरा हमेशा यही मानना था, जो आज भी है, जो काम आप कर रहे हैं, उससे प्यार करना शुरू करना होगा और साथ ही आपको दर्शकों को समझना शुरू करना होगा.”
‘गानेर ओपारे’ जैसे टीवी शो का निर्माण करने वाले 61 वर्षीय स्टार ने दर्शकों को विकसित होते देखा है.
उन्होंने कहा, ”मैंने दर्शकों में बदलाव देखा है. कई परिवारों में मां बेटी और पोती मेरी प्रशंसक हैं. जब उन्होंने मेरी फिल्में देखीं तो सिनेमा की भाषा और अभिव्यक्ति अलग थी और अब युवा पीढ़ी के लिए सिनेमा बदल गया है.”
एक्टर की फिल्म ‘शेष पाटा’ जी5 ग्लोबल पर स्ट्रीम हो रही है. उन्होंने कहा, “मेरे लिए, यह हमेशा एक कठिन यात्रा रही है, लेकिन मैंने इसका पूरा आनंद लिया है. मैं अपने काम से प्यार करता हूं और मैं अपने दर्शकों से प्यार करता हूं. मैं हमेशा अपने दर्शकों का सम्मान करता हूं. यही मुख्य चीज है जो मैंने वर्षों से बनाए रखी है.”
‘शेष पाटा’ का निर्देशन अतनु घोष ने किया है और इसमें गार्गी रॉय चौधरी, विक्रम चटर्जी और रायति भट्टाचार्य भी हैं.
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एमकेएस/एबीएम