नई दिल्ली, 24 अप्रैल . हाल ही में कोविड-19 महामारी के दौरान देखी गई एमआरएनए वैक्सीन तकनीक घातक बीमारियों को रोकने के लिए भी कारगर है. बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है.
विश्व टीकाकरण सप्ताह के हिस्से के रूप में डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट से पता चलता है कि वर्तमान में लगभग 507 टीके के निर्माण अंतिम चरण में हैं, जिनमें से 88 को ट्यूबरक्लोसिस, मलेरिया से लेकर इन्फ्लूएंजा, कोविड-19, रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) और लाइम सहित अन्य बीमारियों को रोकने के लिए एमआरएनए तकनीक का उपयोग कर विकसित किया जा रहा है.
अन्य वैक्सीन तकनीक के विपरीत, एमआरएनए का उत्पादन तेजी से हो सकता है हालांकि इन टीकों को अल्ट्रा-कोल्ड स्टोरेज की आवश्यकता होती है, लेकिन इसे संशोधित करने से यह और भी अधिक बेहतर हो जाएगा.
बीमारी को रोकने और जीवन की रक्षा के लिए टीकों की क्षमता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल अप्रैल के आखिरी सप्ताह में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है.
ग्लोबलडेटा में संक्रामक रोग विश्लेषक एनाले टैनेन ने कहा, ”टीकाकरण ने हमारे समाज में बीमारी के बोझ को काफी हद तक कम कर दिया है. हम पहले ही चेचक का खात्मा देख चुके हैं और पोलियो को भी खत्म करने के बहुत करीब हैं.
टीकाकरण को बढ़ावा देना, टीकाकरण कार्यक्रम में सुधार करना और नए टीके विकसित करना सभी ऐसे तरीके हैं जो रुग्णता मृत्यु दर में कमी लाने में योगदान देंगे.”
वर्तमान में, 20 से ज्यादा जानलेवा बीमारियों को टीकों से रोका जा सकता है. इसके अलावा, नए तंत्रों से आने वाले वर्षों में उपलब्ध रोकथाम योग्य टीकों के दायरे को व्यापक बनाने की उम्मीद है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के डेटा से पता चलता है कि टीके डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस, इन्फ्लूएंजा और खसरा जैसी बीमारियों से सालाना लगभग 3.5-5 मिलियन मौतों को रोकते हैं.
टैनेन ने कहा, “हालिया कोविड-19 महामारी ने दुनिया की आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए प्रभावी टीकों की आवश्यकता, टीकाकरण पहुंच और स्वीकृति में सुधार पर जोर दिया है.”
टैनेन ने कहा, ”टीकाकरण सबसे सस्ते और सबसे प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में से एक है, जो बीमारी से लड़ने में सक्षम बनाता है. टीके को लेकर हिचकिचाहट अभी भी मौजूद है, और खास तौर से एमआरएनए को लेकर. इसलिए, इस टीकाकरण के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है.”
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पीके/