हमारी प्राथमिकताएं प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए : राष्ट्रपति मुर्मू

देहरादून, 24 अप्रैल . उत्तराखंड दौरे के दूसरे दिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी में प्रशिक्षणरत व्यावसायिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के भारतीय वन सेवा के परिवीक्षार्थियों के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं. इस अवसर पर उन्होंने प्रमाण पत्र और पदक प्रदान किए.

उन्होंने कहा कि इस बैच में 10 महिला अधिकारी हैं. महिलाएं समाज के प्रगतिशील बदलाव की प्रतीक हैं. राष्ट्रीय वन अकादमी की पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारतीय वन सेवा के अधिकारियों पर जंगलों के संरक्षण, संवर्धन एवं पोषण की जिम्मेदारी है.

उन्होंने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं मानव केंद्रित होने के साथ-साथ प्रकृति केंद्रित भी होनी चाहिए. पृथ्वी की जैव-विविधता एवं प्राकृतिक सुंदरता का संरक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है, जिसे हमें अति शीघ्र करना है. वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण और संवर्धन के जरिए मानव जीवन को संकट से बचाया जा सकता है. भारतीय वन सेवा के पी. श्रीनिवास, संजय कुमार सिंह, एस. मणिकंदन जैसे अधिकारियों ने ड्यूटी के दौरान कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए प्राण न्योछावर किए हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि विकास रथ के दो पहिये होते हैं – परंपरा और आधुनिकता. आज मानव समाज पर्यावरण संबंधी कई समस्याओं का दंश झेल रहा है. इसके प्रमुख कारणों में विशेष प्रकार की आधुनिकता है, जिसके मूल में प्रकृति का शोषण है. इस प्रक्रिया में पारंपरिक ज्ञान को उपेक्षित किया जाता है. जनजातीय समाज ने प्रकृति के शाश्वत नियमों को अपने जीवन का आधार बनाया है.

राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि) ने कहा कि यह समारोह हमारे राष्ट्रीय वन धरोहर के संरक्षण और प्रबंधन के क्षेत्र में नए योग्य नेतृत्व का उत्थान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है. भारतीय वन्य जीवन और वन्यजीव अध्ययन में उत्कृष्टता के लिए एक प्रमुख संस्था के रूप में, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी ने अपने क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड हिमालय की गोद में बसा हुआ है, जो इसे प्राकृतिक सौंदर्य की एक अतुलनीय धरोहर प्रदान करता है. उत्तराखंड अपनी समृद्ध और विविध वन संपदा के लिए जाना जाता है. हमारे राज्य की प्रमुख संपत्ति इसके वन हैं, जो बहुत समृद्ध जैव विविधता का घर हैं.

स्मिता/एबीएम