नई दिल्ली, 23 अप्रैल . एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि प्रकृति के साथ बिताए गए समय से हृदय रोग और मधुमेह के खतरे से जुड़ी सूजन के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है.
ब्रेन, बिहेवियर एंड इम्युनिटी जर्नल में प्रकाशित नया अध्ययन सूजन (इनफ्लेमेशन) पर केंद्रित है. हालांकि पिछले शोध ने प्राकृतिक दुनिया के संपर्क को केवल बेहतर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जोड़ा था.
अध्ययन से पता चला है कि प्रकृति के बार-बार संपर्क में आने से तीन अलग-अलग इंडीकेटर्स (संकेतक) को लाभ पहुंचता है. इसमें इंटरल्यूकिन-6 (आईएल -6), सी – रिएक्टिव प्रोटीन और साइटोकिन्स शामिल हैं.
अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एंथनी ओंग के नेतृत्व वाली टीम ने कहा, “इन सूजन मार्करों पर ध्यान केंद्रित कर अध्ययन एक बायोलॉजिकल (जैविक) स्पष्टीकरण देता है कि प्रकृति स्वास्थ्य में सुधार क्यों कर सकती है?”
अध्ययन में विशेष रूप से बताया गया है कि प्रकृति के संपर्क में रहने से हृदय रोग और मधुमेह जैसी पुरानी सूजन से जुड़ी बीमारियों को कैसे रोका या प्रबंधित किया जा सकता है.
अध्ययन के लिए टीम में 1,244 प्रतिभागियों को शामिल किया गया. सभी के शारीरिक स्वास्थ्य का मूल्यांकन किया गया और शारीरिक परीक्षण, यूरिन और ब्लड के सैंपल से व्यापक जैविक मूल्यांकन प्रदान किया गया.
एंथनी ओंग ने कहा, “यह सिर्फ इस बारे में नहीं है कि लोग कितनी बार बाहर समय बिताते हैं, बल्कि यह उनके अनुभवों की गुणवत्ता के बारे में भी है.”
उन्होंने आगे कहा कि जनसांख्यिकी, स्वास्थ्य व्यवहार, दवा और सामान्य कल्याण जैसे अन्य वेरिएबल्स को नियंत्रित करते समय भी, उनकी टीम ने पाया कि सूजन का कम स्तर लगातार प्रकृति के सकारात्मक संपर्क से जुड़ा हुआ था.
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