नई दिल्ली, 16 अप्रैल . मशहूर विचारक एस गुरुमूर्ति ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी महत्व रखता है. क्योंकि यूरोप और मध्य-पूर्व में बढ़ती शत्रुता और टकराव के कारण एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है, जो भविष्य में शीत युद्ध की स्थिति को रोक सके.
एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से एक्सक्लूसिव बात करते हुए एस गुरुमूर्ति ने कहा कि भारत ऐसी शक्ति बनकर उभरा है, जो शायद भविष्य में शीत युद्ध से बचा सकता है. उन्होंने कहा, “अगर आप इस बार एक नेता का चुनाव कर रहे हैं, तो आप भारतीय धरती पर एक वैश्विक नेता का चुनाव कर रहे हैं.”
उन्होंने भारत की ‘शांतिवादी’ भूमिका पर अपने दावों की पुष्टि करने के लिए रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण दिया और कहा कि मोदी सरकार के इस स्थिति से निपटने के कुशल तरीके से देश को हर तरफ से सराहना मिली. उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रुपये में रूसी तेल खरीदने के मोदी सरकार के फैसले से तेल की कीमतों को 200 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ने से रोकने में मदद मिली.
उन्होंने बताया, “इससे न केवल तेल की कीमत बढ़ने का खतरा कम हुआ, बल्कि इससे भारतीय और वैश्विक अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हो सकता था. उससे बचा गया.”
उन्होंने विपक्षी दलों के ‘अघोषित आपातकाल’ के दावों पर कड़ी आपत्ति जताई और इसे बेबुनियाद और निराधार बताया. साथ ही एक व्यक्तिगत घटना का भी जिक्र किया.
उन्होंने बताया कि मैंने 1975-77 में आपातकाल के दौरान भूमिगत होकर काम किया. हर तरफ अंधेरा छाया हुआ था. मैंने उस दौरान एक भूमिगत कार्यकर्ता के रूप में काम किया. मैं अपने घर के अंदर खाना नहीं खा सका, मैं अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो सका.
उन्होंने आगे बताया, ”आपातकाल सभी अधिकारों पर एक संवैधानिक अंकुश है. ऐसा नहीं होता कि कोई मजबूत नेता कोई मजबूत फैसला ले. कोई व्यक्ति तभी निरंकुश होता है, जब उसके संवैधानिक अधिकार छीन लिए जाते हैं.”
उन्होंने यह भी बताया कि कैसे पीएम नरेंद्र मोदी के कुछ प्रमुख फैसलों ने विश्व शक्तियों को उनके बारे में अपनी राय बदलने में मदद की. गुरुमूर्ति ने कहा, “उन्हें मिनी-हिटलर के रूप में देखा जाता था, लेकिन उनके अनुकरणीय नेतृत्व के कारण देश सभी मोर्चों पर तेजी से प्रगति कर रहा है और आज दुनिया भारत की ओर देख रही है.
इस आदर्श बदलाव के लिए, मोदी सरकार की दो नीतियां महत्वपूर्ण साबित हुईं – महामारी के दौरान सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान और रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रकोप के दौरान भारतीय कूटनीति.”
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