नई दिल्ली, 15 अप्रैल . देश में लोकसभा चुनाव का माहौल है. हर तरफ राजनीतिक दलों के नेताओं के प्रचार का शोर सुनाई पड़ रहा है. ऐसे में लोगों के मन में क्या है और वह क्यों किसी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देना चाहते हैं, यह सवाल अहम है.
ऐसे में 11 पुस्तकों के लेखक, टीवी डॉक्यूमेंट्री होस्ट और पूर्व राजनयिक अमीश त्रिपाठी ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर एक पोस्ट साझा कर बताया कि ‘मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को वोट क्यों दे रहा हूं.’
अमीश त्रिपाठी ने अपने पोस्ट में लिखा कि आज तक मैंने राजनीतिक विषयों पर कोई टिप्पणी नहीं की है. पर, आज समय है, आप सभी से कुछ कहने का.
मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी केंद्रीय सरकार का समर्थन करता हूं. अगले डेढ़ महीनों में होने वाले आम चुनाव में उनके लोकसभा प्रत्याशियों को वोट देना सही निर्णय होगा. इस निष्कर्ष पर पहुंचने के विभिन्न कारण मैं आपसे साझा करना चाहता हूं.
इसके साथ ही अमीश ने वह वजहें भी साझा की जिसके आधार पर उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार और उनके पार्टी के प्रत्याशियों को वोट करने का फैसला लिया है.
उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि नरेंद्र मोदी की सरकार को वापस लाने के बहुत सारे कारण हैं- कई अन्य लोगों ने इस विषय पर विस्तार से टिप्पणी की है. उनमें से कुछ प्रमुख कारण हैं, गरीबों के जीवन में जबरदस्त सुधार, भारत की ठोस वित्तीय स्थिति, तेजी से होता हुआ अभूतपूर्व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास (मुंबई जहां मैं रहता हूं, और वाराणसी जहां से हमारा परिवार है, दोनों में हुआ इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार मैं खुद देख रहा हूं), देश की जीडीपी वृद्धि दर, विज्ञान व अनुसंधान पर विशेष ध्यान.
इसके साथ ही अमीश ने बताया कि मेरे बहुत सारे पाठक बताते हैं, उनमें से कई युवा वर्ग और छोटे-मझोले उद्योग से जुड़े हैं. उनके लिए विशेष कर्ज और अन्य योजनाएं लागू हुई हैं. इतना ही नहीं, सभी नागरिकों को बिना भेदभाव सीधे उनके बैंक खातों में समाज कल्याण की योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
अमीश ने पोस्ट में आगे लिखा है कि लेकिन, इन सबके अलावा, मेरे लिए सबसे बड़ा कारण ये है कि हमने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, यानी 1945 के बाद जिस शांति व स्थिर वैश्विक व्यवस्था को देखा है, वह समाप्ति के कगार पर है. दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध चल रहे हैं. पुरानी साझेदारियों (जैसे-यूएन) में बिखराव आ रहा है. अब संसार के सारे देश एकजुट होकर हमारी ज्वलंत समस्याओं का हल निकालने में पहले जैसे समर्थ नहीं हैं. उदाहरण के लिए कोविड महामारी, विश्व व्यापार विसंगतियां, कुछ देशों के कर्ज का टाइम बम (जिसमें अमेरिका व यूरोप के अमीर देश भी शामिल हैं), जलवायु परिवर्तन-ग्लोबल वार्मिंग, और महाशक्तियों की घटती शक्ति, जो स्पष्ट है समंदर के बढ़ते लुटेरों में, और युद्ध तकनीक में सस्ते हाई-टेक शस्त्रों के बढ़ते इस्तेमाल में. आपने सोचा था कभी कि स्वेज नहर में हौथी ड्रोन आक्रमणों के कारण विश्व के समुद्री जहाज अफ्रीका का लंबा चक्कर लगाकर आने के लिए मजबूर होंगे? ये सारी बातें दुनिया के लिये खतरे की घंटी हैं और प्रमुख देश इनके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं.
इतिहास गवाह है कि जब एक पुरानी वैश्विक व्यवस्था टूट कर बिखरती है, ऐसे कठिन समय में उथल-पुथल, अशांति और युद्ध बड़े सामान्य हैं.
आज हम ऐसे ही बिखराव व अशांति के दौर से गुजर रहे हैं. पूरी दुनिया और बड़े देश इस कठिन दौर से कैसे निकलते और उभरते हैं, इसी से आने वाले दशकों व शताब्दी में हमारे भाग्य का निर्धारण होगा. भारत के लिए तो यह और भी अहम है, क्योंकि हमें बिखराव के अंतरराष्ट्रीय माहौल में ही अपने कई गरीब देशवासियों को बहुत आगे ले चलना है. ऐसे नाज़ुक समय में ही किसी भी राष्ट्र के शीर्ष नेतृत्व की सबसे बड़ी भूमिका होती है. पहले और दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिका के शीर्ष नेता बहुत काबिल थे. इसलिए 1945 के बाद की विश्व व्यवस्था में अमेरिका की समृद्धि और ताकत में उसके राष्ट्रपतियों का बड़ा योगदान रहा.
अमीश त्रिपाठी ने आगे लिखा है कि विश्व इतिहास के इस नाज़ुक दौर में हमें भारत के प्रधानमंत्री में क्या गुण चाहिए? जिसके पास पूर्ण एकाग्रता और जोश हो. जो लंबे अनुभव में कार्यकुशलता दिखलाता हो. जो सबसे अधिक मेहनत कर सके. इस मेहनत व लगन से देशवासियों को अपने साथ आगे कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित कर सके और जो दुनिया के बड़े देशों के सामने भारत के हितों की डटकर रक्षा कर सके. जहां प्रेमभाव से काम हो, वहां प्रीत. अन्यथा कठोर रूख भी अपना सके, और भय पैदा कर सके, ऐसे प्रधानमंत्री की जरूरत भारत को है.
अमीश ने आगे लिखा कि आप में से कई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुभचिंतक हैं. कुछ ऐसे भी होंगे, जो उनके समर्थक न हों. ऐसे दोस्तों से मेरी गुजारिश है कि आज जब दुनिया एक कठिन समय में है, हमारे देश में पूर्ण बहुमत वाली शक्तिशाली सरकार चाहिए. ऐसी सरकार जो विश्व की विपरीत परिस्थितियों से भली भांति निपटकर भारत को आने वाले समय में और भी ऊपर ले जा सके. यदि हिंदुस्तान शक्तिशाली होगा तो हममें से हर हिंदुस्तानी की शक्ति बढ़ेगी. अगर हिंदुस्तान कमजोर हुआ, जैसा 1950-1980 के दशकों में हुआ था, प्रत्येक हिंदुस्तानी की शक्ति कम होना तय है. ध्यान रहे, पिछले कुछ सालों में हमारी सरकार तगड़ी थी, इसलिए हम महाशक्तियों के दबाव में न आते हुए राष्ट्र हित में निर्णय ले सके. जैसे रूस से कच्चा तेल खरीदते रहना, जिससे हमारे देश में कीमतें काबू में थीं, जबकि कई देशों में बेतहाशा महंगाई जोरों पर है.
हमारे देश व हमारी सभ्यता के लिए ऐसे नाज़ुक समय पर चाणक्य नीति पर चलने वाले शीर्ष राष्ट्रीय नेता की बेहद जरूरत है. इसलिए हमें आगामी सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और भी अच्छे काम करने देना चाहिए. मैं अपने लोकसभा का वोट नरेंद्र मोदी की पार्टी के उम्मीदवार को ही दूंगा. आशा है कि इतना कुछ जानने के बाद आप भी उनके उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे.
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जीकेटी/