नई दिल्ली, 9 अप्रैल . बीजेपी में एक दशक तक बिताने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के दिग्गज जाट नेताओं में से एक बीरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी प्रेमलता सिंह एक बार फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए.
उनके बेटे और मौजूदा सांसद बृजेंद्र सिंह ने पिछले महीने ही कांग्रेस का दामन थामा था. इस परिवार का हरियाणा की राजनीति पर व्यापक असर रहा है. 25 मई को लोकसभा चुनाव के बाद अक्टूबर में हरियाणा में विधानसभा के चुनाव होंगे जिसे लेकर अभी से ही राजनीतिक दलों में सुगबुगाहट तेज हो चुकी है.
प्रेम लता सिंह हरियाणा से पूर्व भाजपा विधायक हैं, जबकि बीरेंद्र सिंह ने पहले मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य किया था. इससे पहले वो चार दशक तक कांग्रेस में रह चुके थे. मुकुल वासनिक और दो बार के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुडडा सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में वो फिर से कांग्रेस में शामिल हुए.
उन्होंने कहा किसी निश्चित कारण की वजह से वो 2014 में बीजेपी में शामिल हुए थे.
उन्होंने कहा, “जब, मैं बीजेपी में गया था तो मुझे इस बात का एहसास था कि दोनों की विचारधारा में कोई ज्यादा अंतर नहीं होगा, लेकिन इसके बाद मैंने इस फर्क को महसूस किया.”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने किसान आंदोलन के दौरान भी किसानों के मुद्दे को पार्टी प्लेटफॉर्म पर उठाया था और उनसे अनुरोध भी किया था कि किसानों की समस्याओं का निराकरण किया जाए, लेकिन बाद में मैंने महसूस किया कि मेरी बात को अनसुना किया जा रहा है.”
बिजेंद्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने के कदम को हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट मतदाताओं को लुभाने के कदम के रूप में देखा जा रहा है, जिसकी अभी सियासी गलियारों में खूब चर्चा हो रही है.
बृजेंद्र सिंह ने पांच महीने बाद भाजपा छोड़ दी, जब उनके पिता ने जींद में एक रैली में पार्टी को अल्टीमेटम दिया था कि अगर पार्टी ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के साथ गठबंधन जारी रखा तो वह भाजपा छोड़ देंगे.
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एसएचके/