बेंगलुरु, 9 अप्रैल . कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारामैया ने सोमवार को कहा कि यह निंदनीय है कि केंद्र ने राज्य को मिलने वाली उचित सूखा राहत पर धोखा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट को गलत जानकारी सौंपी है.
मुख्यमंत्री ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “कर्नाटक को उचित सूखा राहत प्रदान करने में केंद्र सरकार द्वारा लगातार देरी के कारण हमारी सरकार को सर्वोच्च न्यायालय से न्याय मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन सोमवार को सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इसके पीछे राजनीतिक मकसद बताते हुए दलील दी कि सूखा राहत में देरी के लिए कर्नाटक सरकार को दोषी ठहराया जाना चाहिए. यह बेहद निंदनीय है.”
सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “सूखा राहत के लिए वे (कर्नाटक) हमसे (केंद्र) बात कर सकते थे. हम ऐसी याचिकाओं का समय देख सकते हैं.”
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र की विफलताओं को छुपाने के लिए उन्होंने कर्नाटक सरकार पर दोष मढ़ने का प्रयास किया..
उन्होंने कहा, “जैसा कि मैंने पिछले 2-3 महीनों में बार-बार कहा है, हमारी सरकार ने सितंबर 2023 में केंद्र सरकार को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें नुकसान और अपेक्षित राहत राशि का विवरण दिया गया था. इसके बाद मैंने राजस्व मंत्री कृष्णा बायरे गौड़ा के साथ दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर राहत की अपील की थी.
ने कहा “हमारे उपमुख्यमंत्री (डी.के. शिवकुमार) ने केंद्रीय वित्त मंत्री से अलग से मुलाकात की थी. इसके बावजूद, वित्त मंत्री और गृह मंत्री ने झूठा दावा किया कि कर्नाटक सरकार ने अपना अनुरोध प्रस्तुत करने में देर कर दी. और आज, केंद्र ने इस झूठ को दोहराया सुप्रीम कोर्ट.
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के बयानों को ध्यान में रखते हुए मामले की सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी.
सिद्दारामैया ने कहा, “केंद्र के अन्याय के खिलाफ हमारी लड़ाई न केवल सड़कों पर, बल्कि अदालतों में भी जारी रहेगी. हम एक-एक करके केंद्र सरकार के झूठ का पर्दाफाश करेंगे और राज्य की जनता के सामने उसका असली चेहरा उजागर करेंगे.”
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