कोलकाता, 4 अप्रैल . कलकत्ता हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में महिलाओं के साथ जो हुआ, अगर वह सच है तो महिला सुरक्षा संबंधी राज्य के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुरूप नहीं है..
मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने गुरुवार को संदेशखाली की महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न के आरोपों पर अदालत द्वारा स्वत: संज्ञान ली गई एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने यह टिप्पणी की.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की ताजा रिपोर्ट में पश्चिम बंगाल में महिला सुरक्षा को तरजीह दी गई है. संदेशखाली में पीड़ित महिलाओं के वकील ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर बताया है कि वहां उनके साथ क्या हुआ है. अगर इतने सारे आरोपों में से एक भी सच निकला तो यह वाकई शर्म की बात है.”
सुनवाई के दौरान भाजपा नेता और महिलाओं की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने दलील दी कि जो लोग उनके पास अपनी शिकायत लेकर आए, उनकी आंखों में आंसू थे.
प्रियंका टिबरेवाल ने कहा, “समस्या की जड़ संदेशखाली में अवैध जमीन कब्जाना है. यहां तक कि पुलिस भी ऐसे मामलों में शामिल थी. मुझे नहीं पता कि पीड़िताओं को न्याय मिलने में कितना समय लगेगा.”
राज्य सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने कहा कि उन्हें हैरानी है कि क्या प्रियंका टिबरेवाल पीड़िताओं की वकील के रूप में या राजनीतिक व्यक्ति के रूप में बहस कर रही हैं. उन्होंने यह भी मांग की कि किसी जनहित याचिका को राजनीतिक प्रवचन का मंच नहीं बनना चाहिए.
दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
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एफजेड/एसजीके