नई दिल्ली, 4 अप्रैल . ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) में कथित वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में दिल्ली की एक अदालत में दाखिल अपने आरोपपत्र में कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की चुनावी फंडिंग के लिए 2 करोड़ रुपये से अधिक हस्तांतरित किए गए थे.
यह मामला फ्लो मीटर खरीद के टेंडरिंग में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है.
सूत्रों के मुताबिक, आरोपपत्र में जिन लोगों के नाम हैं, उनमें डीजेबी के पूर्व मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डीके मित्तल, तेजिंदर सिंह, एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (जिसके निदेशक का निधन हो चुका है) शामिल हैं.
के पास मौजूद आरोपपत्र में लिखा है, “जांच से पता चला कि जगदीश कुमार अरोड़ा द्वारा अपराध की शेष आय (रिश्वत) 2,00,78,242 अर्जित की गई थी. उसने तजिंदर पाल सिंह के माध्यम से दिल्ली जल बोर्ड के अन्य अधिकारियों सहित विभिन्न व्यक्तियों को हस्तांतरित की थी. जांच में यह भी पता चला कि जगदीश कुमार अरोड़ा और दिल्ली जल बोर्ड के अन्य अधिकारियों ने अपराध की उक्त आय का कुछ हिस्सा आप की चुनावी फंडिंग के लिए हस्तांतरित किया.”
मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में जगदीश कुमार अरोड़ा, अनिल कुमार अग्रवाल, दविंदर कुमार मित्तल, तजिंदर पाल सिंह और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की भूमिका और उनके द्वारा उपयोग की गई अपराध आय की जांच पूरी हो गई है. लेकिन अपराध की आय के 2,00,78,242 रुपये के अंतिम उपयोग के संबंध में जांच चल रही है, जिसे दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारियों सहित विभिन्न व्यक्तियों और आप की चुनावी फंडिंग के लिए हस्तांतरित किया गया था.
शुरुआत में सीबीआई ने दिसंबर 2021 में एक एफआईआर दर्ज की थी, जिसमें इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर की आपूर्ति, स्थापना परीक्षण और कमीशनिंग (एसआईटीसी) के लिए 2018 में 38 करोड़ रुपये का अनुबंध हासिल करने के लिए एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के साथ साजिश में जगदीश कुमार अरोड़ा को शामिल किया गया था.
2022 में दर्ज की गई सीबीआई एफआईआर के अनुसार, यह आरोप लगाया गया है कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा अनुबंध पात्रता मानदंडों का अनुपालन न करने की शिकायतों के बावजूद उन्हें लगभग 38 करोड़ रुपये का अनुबंध दिया गया था. एफआईआर में दावा किया गया है कि अरोड़ा ने तीन अधीनस्थों के साथ मिलकर एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर को गलत प्रमाणपत्र जारी करने की साजिश रची थी.
सीबीआई ने जुलाई 2022 में अरोड़ा और अन्य पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी सहित विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. वहीं ईडी ने सितंबर 2022 में केस भी दर्ज किया और बाद में छापेमारी भी की.
इस साल जनवरी में जगदीश अरोड़ा और अनिल कुमार अग्रवाल को ईडी ने अनुबंध से संबंधित कथित रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था. अग्रवाल पर अरोड़ा के रिश्तेदारों और सहयोगियों को रिश्वत के तौर पर 3 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का आरोप है.
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एफजेड/एसजीके