नई दिल्ली, 28 मार्च . लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में राजद और कांग्रेस के बीच पूर्णिया सीट को लेकर मनमुटाव साफ दिखने लगा है. पप्पू यादव ने यह सीट हाथ से निकले जाने पर कहा कि उन्हें “आत्महत्या करना मंजूर है, लेकिन पूर्णिया से अलग होना बिल्कुल मंजूर नहीं है”.
दरअसल पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया था. इसके बाद उनके हाथों से पूर्णिया लोकसभा सीट भी निकल गई. लालू यादव की पार्टी राजद ने इस सीट से बीमा भारती को अपना प्रत्याशी बनाया है, जिसको लेकर अब पप्पू यादव की नाराजगी साफ दिखने लगी है.
मीडिया से बात करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने 1983-84 से लालू यादव को अपने पिता के रूप में देखा है. उन्होंने कहा, “क्या मैं उनका पुत्र नहीं हूं. मैं यादव, राजपूत, एससी/ एसटी और हिंदू, मुसलमान पर सियासत नहीं कर सकता. मेरे अपने संस्कार हैं, मैं पूर्णिया का बेटा हूं. मैं भी सीमांचल में पैदा हुआ हूं. क्या आप हमारी मां से ही हमें दूर कर देंगे. सीमांचल कांग्रेस की जमीन है. आजादी के बाद से हमेशा सीमांचल और कोसी ने कांग्रेस को ताकत दी है. मेरा पूर्णिया से इमोशनल रिश्ता है, मैंने यहां जीना, खेलना और लड़ना सीखा है.”
उन्होंने आगे कहा कि जब वह राजद सुप्रीमो लालू यादव से मिले थे तो उन्हें बताया था कि वह पूर्णिया से चुनाव लड़ना चाहते हैं, मधेपुरा से नहीं. इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर लिया.
पप्पू यादव ने कहा कि पूर्णिया से उनके अलग होने का मतलब है आत्महत्या करना और जहर खाना. पूर्णिया से अलग होने के बारे में कभी सोच भी नहीं सकते. उन्होंने कहा, “कोई मार दे यह मंजूर है, मैं बिना किसी पद और लालच के सेवा करते आया हूं. मेरे लिए कोई जाति न कोरोना में थी और न ही बाढ़ में. मेरा तन-मन सब पूर्णिया के लिए समर्पित है. मुझे पूर्णिया को दुनिया का नंबर वन लोकसभा क्षेत्र बनाना है. अब कांग्रेस को तय करना होगा, क्योंकि मैं पार्टी के लिए सब कुछ समर्पित कर चुका हूं.”
कांग्रेस में विलय करने से ठीक एक दिन पहले पप्पू यादव ने राजधानी पटना में राजद प्रमुख लालू यादव से भेंट की थी. हालांकि, लालू यादव उन्हें पूर्णिया सीट देने को राजी नहीं थे. पप्पू यादव ने दावा किया था कि राजद प्रमुख ने उन्हें मधेपुरा लोकसभा सीट की पेशकश की थी. लेकिन उन्होंने उनकी पेशकश ठुकरा दी थी.
–
एसके/एकेजे