लखनऊ, 25 मार्च . एक समय ऐसा था जब राजनीति में दलबदलुओं को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता था, लेकिन आज वे उत्तर प्रदेश में भरपूर फसल काट रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस की पहली सूची में सहारनपुर से इमरान मसूद और बांसगांव से सदल प्रसाद का नाम है. इमराम मसूद ने समाजवादी पार्टी (सपा) से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और फिर कांग्रेस तक का सफर तय किया है.वहीं, सदल प्रसाद बसपा से कांग्रेस में आये. दानिश अली, जिन्हें अमरोहा से उम्मीदवार बनाया गया है, ने दो महीने पहले बसपा छोड़ दी थी और एक पखवाड़े पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे.
समाजवादी पार्टी की पहली सूची में अफजल अंसारी का नाम शामिल है, जो 2019 में बसपा के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे.
अफ़ज़ल अंसारी जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई हैं और वह ग़ाज़ीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगे.
बस्ती से चुनाव लड़ रहे राम प्रसाद चौधरी भी बसपा से हैं, जबकि अकबरपुर से सपा प्रत्याशी राजाराम पाल भी बसपा से सपा में आए. वो कुछ समय तक कांग्रेस में थे.
उन्नाव से अन्नू टंडन और मोहनलालगंज से आरके चौधरी दोनों सपा से कांग्रेस में आये.
भाजपा की सूची में भी दलबदलू नेताओं की हिस्सेदारी है – जितिन प्रसाद, जो पीलीभीत से चुनाव लड़ रहे हैं, कांग्रेस से आए हैं. डुमरियागंज के मौजूदा सांसद जगदंबिका पाल, जो वर्षों पहले कांग्रेस छोड़ चुके हैं, भाजपा के साथ हैं.
एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक आर के सिंह ने कहा, “समर्पित पार्टी कार्यकर्ताओं पर दलबदलुओं को तरजीह देने की प्रवृत्ति कार्यकर्ताओं को कमजोर कर रही है. जो लोग पार्टियों के लिए काम करते हैं, उन्हें आसानी से उन दलबदलू लोगों के पक्ष में किनारे कर दिया जाता है जिनके लिए पार्टियां बदलना एक राजनीतिक व्यवसाय है.”
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