नई दिल्ली, 13 मार्च . जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में राष्ट्रीय कला मंच द्वारा ‘बस्तर’ फिल्म की प्री रिलीज स्क्रीनिंग की गई. बुधवार को हुई स्क्रीनिंग के दौरान फिल्म के डायरेक्टर सुदीप्तो सेन भी मौजूद रहे.
फिल्म में देश में माओवादी आतंक से ग्रस्त एक क्षेत्र की कहानी दिखाई गई है. स्क्रीनिंग आयोजित करवाने वाले छात्रों का कहना है कि इस दौरान कई बार शरारती तत्वों एवं जेएनयू प्रशासन द्वारा बिजली काटने की कोशिश की गई. लेकिन, फिर भी छात्रों ने फिल्म की पूरी स्क्रीनिंग देखी.
राष्ट्रीय कला मंच (आरकेएम) के संयोजक गौरव ने बताया कि जेएनयू के छात्रों को यह फिल्म बहुत अच्छी लगी. यह खचाखच भरे हॉल और छात्रों के उत्साह से जाना जा सकता है. इस फिल्म को दिखाने का उद्देश्य वामपंथियों के सच को छात्रों के मध्य उजागर करना था. जेएनयू में इसका महत्व और इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि मुट्ठी भर वामपंथियों द्वारा जेएनयू के छात्रों को भी कई बार दिग्भ्रमित और प्रताड़ित भी किया जाता है.
सुदीप्तो सेन ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि जेएनयू के मुट्ठीभर वामपंथियों की वजह से जेएनयू के छात्र बदनाम होते हैं. बाहर के लोगों को यह ज्ञात नहीं हो पाता कि जेएनयू में हजारों की संख्या में राष्ट्र को सर्वप्रथम रखने वाले छात्र पढ़ते हैं. इस फिल्म के माध्यम से बस्तर के माओवादी आतंक से ग्रस्त इलाके की कहानी दिखाई गई है कि किस प्रकार वहां के मासूम निवासियों को यह वामपंथी अपने लाभ के लिए बेरहमी से प्रयोग करते हैं.
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जीसीबी/एबीएम