नई दिल्ली, 13 मार्च . विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने बुधवार को कहा कि भारतीय विकास परियोजनाएं मॉरीशस में आम लोगों के जीवन को छूती हैं. द्वीप राष्ट्र अपनी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के तहत नई दिल्ली की प्राथमिकताओं में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है.
विदेश सचिव क्वात्रा ने बुधवार को एक विशेष ब्रीफिंग में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राष्ट्रीय दिवस समारोह के लिए द्वीप राष्ट्र की यात्रा के बारे में कहा कि यह यात्रा भारत और मॉरीशस के बीच लंबे समय से चली आ रही भरोसेमंद साझेदारी के बढ़ते विस्तार को दर्शाती है.
उन्होंने कहा, “भारत सरकार पूरे मॉरीशस में 96 लघु सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू कर रही है और राष्ट्रपति ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री के साथ एक समारोह में उनमें से 14 का उद्घाटन किया. ये परियोजनाएं विभिन्न क्षेत्रों में आम लोगों के जीवन को छूती हैं.”
विदेश सचिव ने आगे बताया कि भारत मॉरीशस के लोक सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए एक नया सिविल सेवा कॉलेज, रीनल ट्रांसप्लांट यूनिट, एक मेडिक्लिनिक और दो स्वास्थ्य केंद्र भी बना रहा है.
राष्ट्रपति मुर्मू और प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाैथ की मौजूदगी में कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों का भी आदान-प्रदान किया गया, जिसमें लोक प्रशासन, डबल कराधान से बचाव, वित्तीय सेवाओं और सुशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न खंड शामिल हैं.
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, “हमारी विकास साझेदारी, सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, प्राप्तकर्ता देश की प्राथमिकताओं पर आधारित है. इसलिए मॉरीशस सरकार की प्राथमिकताएं हमारी सहयोग परियोजनाओं की प्रेरक विशेषता हैं.”
विदेश सचिव ने कहा कि किसी भी देश, विशेष रूप से ‘ग्लोबल साउथ’, ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और पीएम मोदी के सागर (एसएजीएआर) दृष्टिकोण के तहत आने वाले देशों के साथ भारत का विकास सहयोग टेम्पलेट प्राप्तकर्ता देश की प्राथमिकताओं पर आधारित है.
मॉरीशस की अपनी पहली यात्रा में राष्ट्रपति मुर्मू ने देश को 200 इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति करने और पवित्र स्थल को धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटक केंद्र में बदलने के लिए गंगा तालाब क्षेत्र के पुनर्विकास के भारत के फैसले की घोषणा की.
विदेश सचिव ने कहा, “यह यात्रा हमारे विशेष संबंधों में निरंतर सकारात्मक गति और रुझान को मजबूत करती है. यह इस महत्वपूर्ण भागीदार के साथ हमारे संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की हमारी साझा और मजबूत प्रतिबद्धता का भी संकेत देती है.”
ऐतिहासिक, जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक कारणों से भारत के मॉरीशस के साथ घनिष्ठ, दीर्घकालिक संबंध हैं और द्वीप राष्ट्र की 12 लाख की आबादी में लगभग 70 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं.
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एफजेड/एसजीके