मुंबई, 13 मार्च . भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रवीण दारेकर ने ‘एकतरफा’ ढंग से दो बार के सांसद हेमंत गोडसे को प्रतिष्ठित नासिक लोकसभा सीट के लिए अपना उम्मीदवार घोषित करने के लिए बुधवार को सत्तारूढ़ सहयोगी शिवसेना की आलोचना की.
प्रवीण दारेकर ने कहा, “श्रीकांत शिंदे को इस पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है. तीनों सहयोगी दल मिलकर इस पर चर्चा करेंगे और फिर उचित उम्मीदवार का चयन करेंगे. लोग अपनी इच्छानुसार कोई भी सीट मांगते रहते हैं, लेकिन जो उपयुक्त होंगे उन्हें ही विशेष निर्वाचन क्षेत्र आवंटित किया जाएगा.”
नासिक के एक अन्य भाजपा नेता दिनकर पाटिल ने कहा कि शिंदे की घोषणा का कोई महत्व नहीं है. कई अन्य पार्टी पदाधिकारियों ने भी इस घटनाक्रम की आलोचना की, जो महायुति में दरार का संकेत देता है.
भाजपा की प्रतिक्रिया तब आई जब पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे तथा शिवसेना सांसद श्रीकांत ई. शिंदे ने नासिक लोकसभा क्षेत्र से गोडसे को अपना उम्मीदवार घोषित करके सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन को झटका दिया.
उन्होंने कहा कि अगर सीएम ने ऐसी घोषणा की होती, तो वह महायुति सहयोगियों – शिवसेना-भारतीय जनता पार्टी-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ चर्चा के बाद ऐसा करते.
शिंदे ने 12 मार्च को पार्टी के कार्यकर्ता संवाद में तालियों की गड़गड़ाहट के बीच यह बयान देकर महायुति को हिला दिया. वहाँ जिला संरक्षक मंत्री दादा भूसे और अन्य लोग भी मौजूद थे.
शिंदे ने कहा कि उन्होंने संसद में गोडसे की कड़ी मेहनत और नासिकवासियों का उनके प्रति प्रेम देखा है, और “मैं आश्वस्त करता हूं कि नासिक सीट पर शिवसेना चुनाव लड़ेगी, और उम्मीदवार कोई और नहीं बल्कि गोडसे ही होंगे.”
यह आश्चर्यजनक घोषणा एक अन्य मजबूत दावेदार स्वामी शांतिगिरि महाराज के अपना दावा पेश करने के लिए रविवार को सीएम शिंदे से मुलाकात के बमुश्किल 48 घंटे बाद हुई, जिन्हें भाजपा के एक वर्ग का भी समर्थन प्राप्त है.
मंगलवार को अचानक आए बदलाव से हैरान स्वामी शांतिगिरी महाराज ने बुधवार को संकेत दिया कि अगर उन्हें महायुति ने टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे.
वहीं, गोडसे ने महायुति के भीतर नासिक सीट के लिए अन्य मजबूत दावेदारों पर कटाक्ष किया, और उनसे कहा कि वे उनकी उम्मीदवारी से “परेशान न हों” क्योंकि वरिष्ठ नेता निर्णय ले रहे हैं. इसके अलावा उन्होंने पिछले दो कार्यकाल में सांसद के रूप में उनके अच्छे काम का भी जिक्र किया.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह ‘हैट-ट्रिक’ लगाएँगे, गोडसे ने सावधानी से कहा कि “यह नासिक के मतदाताओं द्वारा तय किया जाएगा” जो पिछले 10 साल में उनके विकास कार्यों और पार्टी निर्माण को देख रहे हैं.
कल्याण से लोकसभा सांसद शिंदे ने कहा कि नासिक शिवसेना का गढ़ है और पार्टी के लिए ठाणे (मुख्यमंत्री का गृह जिला) जितना ही महत्वपूर्ण है.
शिंदे ने कहा, “नासिक के लोग हमेशा शिवसेना और बालासाहेब ठाकरे के साथ खड़े रहे हैं. इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि गोडसे यहाँ से दो बार निर्वाचित हुए. यह (2024) पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम शिंदे के लिए एक महत्वपूर्ण चुनाव है, इसलिए हमने फैसला किया है कि हमारा उम्मीदवार (गोडसे) ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिसका निर्वाचन क्षेत्र में अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड हो.”
गोडसे ने आम आदमी को केंद्र में रखते हुए उनकी जन-उन्मुख नीतियों, मजबूत नेतृत्व और राष्ट्रीय हित में साहसिक निर्णय लेने के लिए पीएम और सीएम की सराहना की, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि नासिक में जनता द्वारा महायुति उम्मीदवार को फिर से चुना जाएगा.
यहां तक कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं को “काम पर लगने” के लिए कहा गया था, गोडसे ने कहा कि उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव पूर्व दौरे का 90 प्रतिशत हिस्सा पहले ही पूरा कर लिया है और शेष को अगले कुछ दिनों में पूरा कर लेंगे.
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एकेजे/