बेंगलुरु, 9 मार्च . सर्वाइकल कैंसर पर राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन शनिवार को बेंगलुरु में आयोजित किया गया, जिसका समापन ‘सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत’ के आह्वान के साथ हुआ.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडू राव ने कहा, “कर्नाटक सरकार महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने के साथ सभी नागरिकों को सस्ती, सुलभ और उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए ठोस प्रयासों के साथ काम कर रही है.”
मंत्री ने कहा कि सरकार कर्नाटक में सभी महिलाओं के लिए सुलभ जांच, समय पर निदान और प्रभावी उपचार सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों, गैर सरकारी संगठनों और नागरिक समाज के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.
यह शिखर सम्मेलन ईसीएचओ इंडिया, कर्नाटक ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी सोसाइटी, आर्टिस्ट फॉर एचईआर और हेल्थकेयर सेक्टर स्किल काउंसिल (एचएसएससी) का एक सहयोगात्मक प्रयास था. इसने रोकथाम योग्य बीमारी के खिलाफ लड़ाई में नीति निर्माताओं, प्रमुख स्वास्थ्य देखभाल विशेषज्ञों और प्रमुख राय नेताओं को आगे का रास्ता तय करने के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाया.
एचईआर के लिए आर्टिस्ट की चेयरपर्सन और सीईओ डॉ. हेमा दिवाकर ने जागरूकता और शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए शीघ्र पता लगाना और हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है.
हेमा दिवाकर ने कहा, “महिलाओं को ज्ञान के साथ सशक्त बनाकर और सुलभ स्क्रीनिंग सेवाएं सुनिश्चित करके हम भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य के भविष्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि 2020 में डब्ल्यूएचओ ने 2030 के लिए 90-70-90 सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन रणनीति की स्थापना की, जिसमें 15 वर्ष की आयु तक 90 फीसदी लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन का टीकाकरण करना, 35 से 45 वर्ष की आयु के बीच की 70 फीसदी महिलाओं की उच्च स्क्रीनिंग, जांच और पहचाने गए गर्भाशय ग्रीवा रोग के 90 फीसदी मामलों का इलाज करना शामिल है.
उन्होंने कहा कि कैंसर पूर्व घावों से जुड़े एचपीवी को टीके से रोका जा सकता है.
शिखर सम्मेलन ‘सर्वाइकल कैंसर मुक्त भारत’ के साझा दृष्टिकोण को प्राप्त करने की दिशा में सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिए सभी हितधारकों की नई प्रतिबद्धता के साथ संपन्न हुआ.
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