दिल्ली हाईकोर्ट ने मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन को बंद करने के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 6 मार्च . दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन (एमएईएफ) को बंद करने के केंद्रीय वक्फ परिषद (सीएफसी) के प्रस्ताव को मंजूरी देने के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर 7 मार्च को सुनवाई करेगा.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की खंडपीठ ने बुधवार को याचिका पर केंद्र सरकार का रुख पूछा.

सरकारी वित्त पोषित संगठन एमएईएफ का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के बीच शिक्षा को आगे बढ़ाना है.

संबंधित नागरिकों द्वारा दायर याचिका में एमएईएफ को बंद करने के खिलाफ तर्क दिया गया है, जिसमें योग्य और मेधावी छात्रों, विशेषकर लड़कियों, जो इसकी योजनाओं से लाभान्वित होते हैं, पर इसके प्रतिकूल प्रभाव का हवाला दिया गया है.

याचिका में बंद करने के आदेश को क्षेत्राधिकार के अभाव और मनमाना तथा दुर्भावनापूर्ण बताते हुए इसकी निंदा की गई है.

विशेष चिंता का विषय सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत सोसायटी के विघटन और संपत्ति हस्तांतरण से संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं का कथित उल्लंघन है.

याचिका में तर्क दिया गया है कि समापन आदेश गैरकानूनी रूप से एमएईएफ के विघटन और इसकी संपत्तियों के पूर्व निर्धारित हस्तांतरण को निर्धारित करता है, जो वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है.

फाउंडेशन ने विशेष रूप से मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप जैसी योजनाओं के जरिए धन वितरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. हालांकि, 2022 में योजना बंद होने के बाद छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया.

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