नई दिल्ली, 4 मार्च . दिल्ली की एक अदालत ने सामूहिक बलात्कार और अपहरण के तीन आरोपियों को बरी कर दिया, यह कहते हुए कि आरोप लगाने वाली महिला ने कानून का दुरुपयोग किया है.
रोहिणी अदालत के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन सिंह ने बलात्कार के असली पीड़ितों की रक्षा और कानूनी प्रावधान बनाए रखने के लिए झूठे आरोपों को सख्ती से संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया.
अदालत ने आरोप लगाने वाली महिला की गवाही को विरोधाभासी और अविश्वसनीय पाया. आरोपी सतीश, योगेश गुप्ता और कुलदीप को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया.
चौथे आरोपी सतबीर की मुकदमे के दौरान मौत हो गई थी.
अदालत ने आरोप को मनगढ़ंत और किसी खास मकसद से प्रेरित माना.
इसके अलावा, अदालत ने झूठे साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 344 के तहत कार्यवाही शुरू करने का आदेश दिया.
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