नई दिल्ली/अगरतला, 2 फरवरी . आदिवासी आधारित टिपरा मोथा पार्टी (टीएमपी) की मांगों को हल करने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए), त्रिपुरा सरकार और टीएमपी के नेताओं के बीच एक महत्वपूर्ण त्रिपक्षीय बैठक शनिवार को नई दिल्ली में होगी.
संविधान के अनुच्छेद 2 और 3 के तहत आदिवासियों के लिए ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ या एक अलग राज्य की मांग कर रही टीएमपी ने 28 फरवरी से त्रिपुरा की जीवन रेखा राष्ट्रीय राजमार्ग -8 पर हटोई कटार (बारामुरा) में अपना प्रदर्शन जारी रखा है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने अगरतला में कहा कि त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) को और मजबूत करने, आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा, आदिवासी स्वायत्त निकाय के लिए प्रत्यक्ष वित्त पोषण और आदिवासियों के भूमि अधिकारों में संशोधन के लिए गृह मंत्रालय, त्रिपुरा सरकार और टीएमपी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर होने की संभावना है.
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, जनजातीय कल्याण मंत्री विकास देबबर्मा, जनजातीय कल्याण (टीआरपी और पीटीजी) मंत्री और इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) नेता सुक्ला चरण नोआतिया, विपक्षी नेता और वरिष्ठ टीएमपी नेता अनिमेष देबबर्मा, टीटीएएडीसी के अध्यक्ष जगदीश देबबर्मा, टीएमपी अध्यक्ष बिजॉय कुमार ह्रांगखॉल और अन्य नेता बैठक में शामिल होने के लिए शुक्रवार रात को आनन-फ़ानन में दिल्ली चले गए.
आदिवासी आधारित पार्टी आईपीएफटी त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा की सहयोगी है.
टीएमपी के सुप्रीमो और पूर्व शाही वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मन और पार्टी के अन्य नेता 28 फरवरी से नई दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं.
देब बर्मन ने पहले दावा किया था कि उन्हें केंद्र सरकार ने उनकी मांगों पर चर्चा के लिए दिल्ली बुलाया था.
टीएमपी प्रमुख ने मीडिया से कहा था,“हम जो मांग रहे हैं वह संविधान के अनुसार है. हम चाहते हैं कि सरकार आदिवासियों के संवैधानिक और भूमि अधिकार संबंधी मुद्दों को पूरा करे.”
बैठक में त्रिपुरा के मुख्य सचिव जे.के. सिन्हा और गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के भाग लेने की संभावना है.
अप्रैल 2021 में जब से टीएमपी ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण टीटीएएडीसी में सत्ता हासिल की है, पार्टी ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग के समर्थन में अपना आंदोलन तेज कर दिया है, जिसका सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी वाम मोर्चा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य पार्टियाें ने कड़ा विरोध किया है.
त्रिपुरा के 10,491 वर्ग किमी क्षेत्र के दो-तिहाई से अधिक क्षेत्र पर अधिकार रखने वाला टीटीएएडीसी 12,16,000 से अधिक लोगों का घर है, इनमें से लगभग 84 प्रतिशत आदिवासी हैं. अपने राजनीतिक महत्व के मामले में त्रिपुरा विधानसभा के बाद, यह दूसरा सबसे बड़ा महत्वपूर्ण संवैधानिक निकाय है.
सत्तारूढ़ भाजपा अक्सर आदिवासी वोट हासिल करने के लिए टीएमपी का समर्थन लेने की कोशिश करती है, जो राज्य के 28.57 लाख मतदाताओं में से एक तिहाई हैं.
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