गजल गायकी के शहंशाह ने कर दी आंखें नम, अपने चाहने वालों को ‘उदास’ कर गए पंकज

नई दिल्ली, 26 फरवरी . मशहूर गजल गायक पंकज उधास अब हमारे बीच नहीं रहे. लंबी बीमारी के बाद 72 साल उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनकी बेटी नायाब ने सोशल मीडिया के जरिए उनके निधन की जानकारी दी. सोशल मीडिया पर उनके चाहने वाले उन्हें नम आंखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

हिंदी फिल्म ‘नाम’ के गाने चिट्ठी आई है से पंकज उधास को एक नई पहचान मिली थी. उनकी गजलों को हमेशा से ही खूब प्रसिद्धी मिली. ‘चांदी जैसा रंग है तेरा’ हो या फिर ‘एक तरफ उसका घर एक तरफ मयकदा’ हो. उधास की गजलों को सबसे ज्यादा पसंद किया गया.

हिंदी सिनेमा में भी पंकज उधास के गाए गाने हर किसी की जुबान पर रहे. ना कजरे की धार…, रिश्ता तेरा मेरा सबसे है…, और भला क्या मांगू मैं रब से…, मत कर इतना गुरूर… जैसे गाने आज भी लोग गुनगुनाते रहते हैं.

बता दें कि 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में जन्मे पंकज उधास तीन भाइयों में सबसे छोटे थे. जमींदार परिवार में उनका जन्म हुआ था. उनके दादा भावनगर राज्य के दीवान थे. पंकज उधास के पिता एक सरकारी कर्मचारी थे. उनकी मां जीतूबेन उधास को संगीत का बहुत शौक था. ऐसे में उनके पूरे परिवार में माहौल संगीत का था और सभी भाइयों का भी संगीत में रुझान रहा.

पंकज उधास के बारे में बताया जाता है कि वह गायकी को कभी अपना प्रोफेशन नहीं बनाना चाहते थे. लेकिन, बचपन से ही पंकज का चूकि संगीत के प्रति रुझान रहा था इसलिए वह समय के साथ इसमें ढलते चले गए. एक बार स्कूल के प्रोग्राम में उन्हें गायकी में इनाम के तौर पर 51 रुपए मिले जो उनकी पहली कमाई थी.

पंकज के भाई मनहर उधास और निर्जल उधास पहले से ही संगीत के दुनिया के जाने माने नाम थे. ऐसे में पंकज उधास के माता-पिता ने उनका दाखिला राजकोट में संगीत एकेडमी में करा दिया. उन्हें पता था कि वह इस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हैं. बॉलीवुड में लंबे संघर्ष के बाद भी पंकज को काम नहीं मिला. वह तब तक कई बड़े स्टेज शो कर चुके थे. उन्होंने पहली फिल्म ‘कामना’ में अपनी आवाज में गाना गाया लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई और पंकज को इसकी वजह से ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिल पाई. इससे आहत होकर उन्होंने विदेश जाकर रहने के फैसला कर लिया.

पंकज उधास को विदेश में खूब प्रसिद्धि मिली और वहां उनकी आवाज को खूब पहचाना गया. फिर मशहूर अभिनेता राजेंद्र कुमार की तरफ से उनके पास फोन आया और उनकी आवाज से इंप्रेस होकर उनसे एक गाना गाने की सिफारिश की और फिल्म में कैमियो करने के बारे में भी कहा. पंकज ने तब इसके लिए मना कर दिया. ये बात जब मनहर उधास को राजेंद्र कुमार ने बताई तो उन्होंने इसे लेकर पंकज से बात की. इसके बाद उन्होंने फिल्म ‘नाम’ में ‘चिट्ठी आई है’ को अपनी आवाज दी.

राजेंद्र कुमार ने जब यह गजल अपने सबसे अच्छे दोस्त राज कपूर को सुनाई तो वो रो पड़े. गजल गायकी से उनका प्यार यहीं से परवान चढ़ा और फिर उन्होंने इसके लिए उर्दू सीखी.

11 फरवरी 1982 को पंकज उधास ने फरीदा से शादी की. दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड की शादी में हुई थी. तब पंकज पढ़ाई कर रहे थे और फरीदा एयर होस्टेस थीं. फिर दोनों के बीच दोस्ती हुई और यह दोस्ती प्यार में बदल गई. पंकज और फरीदा शादी करना चाहते थे. पंकज उधास के परिवार को इससे आपत्ति नहीं थी लेकिन फरीदा के परिवार को यह रिश्ता मंजूर नहीं था. पंकज अपनी शादी की बात करने खुद फरीदा के घर चले गए और फिर फरीदा के परिवार वालों की मंजूरी से दोनों की शादी हो गई. उनकी दो बेटियां नायाब और रेवा हैं.

51 रुपए की पहली कमाई करने वाले पंकज उधास मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो अपने परिवार के लिए 25 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति छोड़ गए. पंकज उधास को 2006 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था. वह हिंदी और अन्य भाषाओं में कई हिट गाने गा चुके हैं.

जीकेटी/एबीएम