इंफाल, 23 फरवरी . कुकी समुदाय के पुलिसकर्मियों का मैतई बहुल इलाकों में ट्रांसफर किए जाने का मणिपुर में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन किया गया. इतना ही नहीं, प्रदर्शनकारियों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस मामले में हस्तक्षेप की भी मांग की.
बता दें कि स्वदेशी जनजातीय नेताओं का मंच आईटीएलएफ ने अमित शाह को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की.
वहीं, आईटीएलएफ के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने कहा कि मौजूदा स्थिति किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं है.
वुएलज़ोंग ने कहा, “उन्हें (कुकी-ज़ो पुलिस को) मैतेई-बसे हुए जिलों की यात्रा करने की जरूरत है और यदि वे यात्रा से बच जाते हैं, तो उन्हें ज्यादातर मैतेई पुलिसकर्मियों के साथ तैनात किया जाएगा. दूसरे शब्दों में, यह इन पुलिसकर्मियों के लिए मौत की सजा है, क्योंकि सरकार उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकती.”
उधर, आईटीएलएफ ने अमित शाह को लिखे अपने पत्र में मामले में हस्तक्षेप की मांग की और मणिपुर डीजीपी द्वारा जारी किए गए आदेश को भेदभावपूर्ण बताया.
पत्र में कहा गया है कि “हजारों कुकी-ज़ो आदिवासियों को याद है कि कैसे वे राज्य की राजधानी और उसके आसपास के घाटी इलाकों में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मारे जाने से बमुश्किल बच पाए थे, क्योंकि वे सुरक्षा की तलाश में सेना के शिविरों या जंगल में भाग गए थे.
पत्र में कहा गया है कि बदकिस्मत लोगों को उग्रवादी समूहों के नेतृत्व में निर्दयी भीड़ ने सड़कों पर या उनके घरों में पीट-पीट कर मार डाला.
पत्र में आगे कहा कि कुकी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले सुरक्षाबल सुरक्षित नहीं है.
वहीं, आईटीएलएफ ने अपने पत्र में कहा, “इसके परिणामस्वरूप सभी आदिवासी पुलिसकर्मियों को आदिवासी जिलों में ले जाया गया. एक हालिया घटना, जहां तीन आदिवासी सुरक्षाकर्मी जो मोइरांग में ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने की कोशिश कर रहे थे, उन्हें केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा बचाए जाने से पहले मैतेई भीड़ द्वारा बेरहमी से पीटा गया था, कुकी-ज़ो समुदाय के सामने आने वाले खतरे की याद दिलाता है.”
मणिपुर में 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच तनाव का सिलसिला जारी है. हिंसा की जद में आकर अब तक 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1500 से लोग घायल हो गए. इसके अलावा 70 हजार लोग विस्थापित हो गए.
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एसएचके/एसजीके