नई दिल्ली, 15 फरवरी . सुप्रीम कोर्ट चुनावी बांड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा.
पिछले साल नवंबर में सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की थी. पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बी.आर. गवई, जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने लगातार तीन दिनों तक दलीलें सुनने के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष तर्क दिया था कि चुनावी बॉन्ड योजना अनुच्छेद 19 (1) के तहत नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का हनन करती है, यह पिछले दरवाजे से लॉबिंग को सक्षम बनाती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देती है. साथ ही, विपक्षी राजनीतिक दलों के लिए समान अवसर को समाप्त करती है.
चुनौती का जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया था कि इस योजना का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया में नकदी को कम करना है.
एस-जी मेहता ने जोर देकर कहा कि चुनावी बांड के जरिए किए गए दान का विवरण केंद्र सरकार तक नहीं जान सकती.
उन्होंने एसबीआई के चेयरमैन द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र को रिकॉर्ड पर रखते हुए कहा था कि अदालत के आदेश के बिना विवरण तक नहीं पहुंचा जा सकता. सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा था कि पांच महत्वपूर्ण विचार हैं : “1. चुनावी प्रक्रिया में नकदी तत्व को कम करने की जरूरत, 2. अधिकृत बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करने की जरूरत, 3. गोपनीयता द्वारा बैंकिंग चैनलों के उपयोग को प्रोत्साहित करना, 4. पारदर्शिता; 5. रिश्वत का वैधीकरण.”
इसके अलावा, सीजेआई ने टिप्पणी की थी कि यह योजना सत्ता केंद्रों और उस सत्ता के हितैषी लोगों के बीच रिश्वत और बदले की भावना का वैधीकरण नहीं बननी चाहिए.
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