कोलकाता, 13 फरवरी . कोलकाता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वो हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करे कि आखिर राजकीय विद्यालयों में चयन के लिए सुपर-न्यूमेरिक पद सृजित करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
बिश्वजीत बसु की एकल पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा हलफनामा दाखिल किए जाने के बाद ही यह फैसला किया जा सकेगा कि सुपर-न्यूमेरिक पद सृजित किया जाए या नहीं?
मंगलवार को बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने अदालत में तर्क देते हुए कहा कि सुपर-न्यूमेरिक पद सृजित करने का मतलब यह नहीं है कि हम निर्धारित योग्यता के साथ किसी भी प्रकार का समझौता करेंगे.
राज्य के स्कूलों में 1600 पद सृजित किए गए हैं, जिसमें विधार्थियों को वोकेशनल एजुकेशन और फिजिकल एजुकेशन दिए जाने का प्रावधान है.
बता दें, सृजित किए गए 1600 पदों में से 750 पद एजुकेशन और शेष फिजिकल एजुकेशन के क्षेत्र में काम करेंगे. वहीं, नियुक्ति साल 2016 में प्रकाशित हुई वेटिंग सूची के आधार पर होगी.
हालांकि, याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता और सीपीआईएम से राज्यसभा के सदस्य बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने सुपर न्यूमेरिक पोस्ट का विरोध करते हुए तर्क दिया कि पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन ने इस बात को मान लिया है कि सुपर न्यूमेरिक पोस्ट उन लोगों की नौकरियों को सुरक्षित करने के मकसद से बनाया गया है, जिनकी अवैध रूप सेे नियुक्ति हुई है.
वहीं, भट्टाचार्य ने तर्क दिया “आयोग ने सबसे पहले इसे डिवीजन बेंच में स्वीकार किया. हालांकि, बाद में इसने एकल-न्यायाधीश पीठ के सामने स्वीकारोक्ति वापस ले ली.”
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायाधीश बसु ने कहा कि राज्य सरकार सुपर न्यूमेरिक पोस्ट सृजित करती है, तो फिर इन पदों पर नियुक्ति की पात्रता किसके पास होगी?
इन सभी दलीलों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति बसु ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वो कोर्ट में हलफनामा दाखिल करें. अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई आगामी 28 फरवरी को होगी.
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