बेंगलुरु, 12 फरवरी . भारत के महान बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ अपनी खूबसूरत कलाई की कला के लिए जाने जाते हैं. वो 12 जुलाई 2024, सोमवार को 75 साल के हो गए. उनका करीब 14 साल का अंतर्राष्ट्रीय करियर रहा और उन्हें भारत के महानतम बल्लेबाज़ों में शुमार किया जाता है. यह एक ऐसे बल्लेबाज थे जिन्हें खेलता देख क्रिकेट फैंस खूब लुत्फ उठाते थे.
12 फरवरी, 1942 को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के एक औद्योगिक शहर भद्रावती में जन्मे विश्वनाथ देश के लिए खेलने वाले बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक रहे. नई पीढ़ी के लोगों ने उन्हें लाइव खेलते तो नहीं देखा लेकिन उनके किस्से खूब सुने.
वो एक ऐसे खिलाड़ी थे जिसे हर कोई देखना पसंद करता था. 1967-68 में विजयवाड़ा में आंध्र के खिलाफ मैसूर (कर्नाटक टीम का तत्कालीन नाम) के लिए अपने प्रथम श्रेणी डेब्यू में दोहरा शतक बनाकर वह राष्ट्रीय स्तर पर पहचान में आए.
1969 में कानपुर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहली पारी में शून्य पर आउट होने के बाद विश्वनाथ ने अपने पहले टेस्ट मैच की दूसरी पारी में 137 रन बनाए. उन्होंने 91 टेस्ट मैचों में 41.93 की औसत से 6,080 रन बनाए. जिसमें 14 शतक और 35 अर्द्धशतक शामिल थे.
वो भारतीय टीम के पहले संकटमोचक कहे जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि गुंडप्पा विश्वनाथ ने टेस्ट करियर में जो 14 शतक लगाए उसमें से किसी भी मैच में भारतीय टीम को हार का सामना नहीं करना पड़ा. इन मैचों में या तो भारतीय टीम जीत गई या मैच ड्रॉ रहा.
टेस्ट क्रिकेट में उनकी कुछ यादगार पारियों में 1974/75 में चेन्नई में एंडी रॉबर्ट्स की मौजूदगी वाली वेस्टइंडीज की गेंदबाजी लाइन-अप के खिलाफ 97 रन की मैच जिताऊ पारी थी.
साथ ही 1978/79 में उसी स्थान पर वेस्टइंडीज के खिलाफ 124 रन की पारी शामिल है. फिर, 1975/76 में क्राइस्टचर्च की हरी पिच पर न्यूजीलैंड के खिलाफ 83 और 79 रन की यादगार पारी भी उनके नाम दर्ज है.
दो टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी करने वाले विश्वनाथ ने 25 वनडे मैच भी खेले, जिसमें दो अर्धशतक सहित 439 रन बनाए.
विश्वनाथ, 1975 और 1979 के पुरुष एकदिवसीय विश्व कप में भारतीय टीम के सदस्य थे. कलाई वाली बल्लेबाजी शैली के साथ विश्वनाथ स्क्वेयर कट खेलने के लिए बेहद लोकप्रिय रहे.
संन्यास के बाद विश्वनाथ ने 1999 से 2004 तक आईसीसी मैच रेफरी के रूप में कार्य किया. उन्होंने कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया, साथ ही 1992 से 1996 तक राष्ट्रीय चयनकर्ताओं के अध्यक्ष रहे.
विश्वनाथ के ब्रदर-इन-लॉ भारत के एक अन्य महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर हैं. उन्होंने बेंगलुरु में राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में बल्लेबाजी कोच के रूप में भी काम किया.
विश्वनाथ को 2008 में सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. फिर,1977/78 में अर्जुन पुरस्कार से भी नवाजा गया.
हाल ही में, विश्वनाथ स्टार स्पोर्ट्स के कन्नड़ फ़ीड में वनडे वर्ल्ड कप 2023 में एक कमेंटेटर और विशेषज्ञ रहे, जबकि उन्होंने 2022 में ‘रिस्ट एश्योर्ड’ नामक एक आत्मकथा लिखी थी.
विश्वनाथ ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “हम हमेशा मील के पत्थर का जश्न मनाते हैं. मैं आभारी हूं और मुझे 75 साल की उम्र में भी जीवित रखने के लिए भगवान का शुक्रिया.
“मैं आगे बढ़ने के लिए उत्सुक हूं. एक क्रिकेटर होने के नाते मुझे हमेशा लगता है कि एक बार जब आप 50 और फिर 75 तक पहुंच जाते हैं, तो आप शतक की तलाश में रहते हैं. उन्होंने कहा, यह 100 बनाने के लिए वास्तव में कड़ी मेहनत करने का समय है.”
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