शॉर्ट फिल्म से मिली ‘स्टीफन’ बनाने की प्रेरणा, कहानी डेढ़ साल में तैयार हुई तैयार : अभिनेता गोमती शंकर

चेन्नई, 27 नवंबर . तमिल फिल्म इंडस्ट्री इन दिनों एक दिलचस्प मनोवैज्ञानिक थ्रिलर ‘स्टीफन’ को लेकर चर्चा में है. कहानियों की दुनिया में कई बार बड़े प्रोजेक्ट्स की शुरुआत बहुत छोटे आइडियाज से होती है, और ‘स्टीफन’ इसका बेहतरीन उदाहरण है. इसका विचार एक साधारण-सी शॉर्ट फिल्म से आया. इसका निर्देशन मिथुन बालाजी ने किया. वहीं, इसमें Actor गोमती शंकर मुख्य किरदार में हैं.

गोमती शंकर ने फिल्म की स्क्रिप्ट लिखने में भी मदद की है. यह फिल्म अब 5 दिसंबर को नेटफ्लिक्स पर आने वाली है.

Actor गोमती शंकर ने से बातचीत में बताया, ”हमने 2020 में एक शॉर्ट फिल्म बनाई थी, जो स्टीफन नाम के एक किरदार पर आधारित थी. यह कई शॉर्ट फिल्म फेस्टिवलों में दिखाई गई और लोगों ने इसे बेहद पसंद किया. टीम को उम्मीद नहीं थी कि दर्शक एक सीरियल किलर जैसे विषय को अलग ढंग से पेश करने पर इतनी सराहना देंगे. इसी सकारात्मक प्रतिक्रिया ने हमें आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दिया.”

उन्होंने कहा, ”वह शॉर्ट फिल्म सिर्फ 10 मिनट की थी. हमारी खास कोशिश थी कि इसमें कोई हिंसा न दिखाई जाए, जो आमतौर पर सीरियल किलर आधारित कहानियों में जरूरी समझा जाता है. इसके बजाय, फिल्म पूरी तरह एक सीरियल किलर और एक मनोचिकित्सक के बीच बातचीत पर आधारित थी. इसे दर्शकों और जूरी ने इतना पसंद किया कि इसे बेस्ट एक्टर, बेस्ट डायरेक्टर और बेस्ट फिल्म जैसे पुरस्कार भी मिले. यह टीम के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन था, क्योंकि हमने कल्पना भी नहीं की थी कि यह छोटा-सा प्रयोग इतनी दूर तक जाएगा.”

गोमती शंकर ने कहा, ”इन्हीं उपलब्धियों से प्रेरित होकर हमने सोचा कि क्यों न इस कहानी को आगे बढ़ाया जाए. शुरुआत में हमारा मकसद सिर्फ शॉर्ट फिल्म का सीक्वल बनाने का था, लेकिन जब स्क्रिप्ट लिखने बैठे तो कहानी अपने आप आगे बढ़ती चली गई और 40 मिनट की हो गई. हमने अपनी टीम के अन्य युवा निर्देशकों और लेखकों को यह कहानी सुनाई, और सबने सलाह दी कि इसे थोड़ा और विस्तार देकर एक पूरी लंबी फीचर फिल्म बनाया जाए.”

उन्होंने कहा, ”हमें स्क्रिप्ट को तैयार करने में डेढ़ साल लग गए. नतीजा यह हुआ कि कहानी और किरदार में गहराई आई और फिल्म एक बड़े पैमाने पर तैयार हो गई.”

फिल्म ‘स्टीफन’ का निर्माण जयकुमार और मोहन ने किया है, और इसमें Actor माइकल थानगदुरई भी एक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं. कहानी में कई परतें हैं जो मामूली क्राइम थ्रिलर से आगे बढ़कर इंसान की मानसिकता, अपराधबोध, नैतिकता और सही-गलत के बीच की उलझनों को सामने लाती हैं.

पीके/एबीएम