भारत-इंडोनेशिया ने फिलिस्तीन में न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए दोहराई अपनी प्रतिबद्धता

New Delhi, 27 नवंबर . India और इंडोनेशिया दोनों देशों का मानना है कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र स्वतंत्र, खुला, शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध होना चाहिए. दोनों देशों ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून, संप्रभुता के सम्मान और नियम-आधारित व्यवस्था पर आधारित होना चाहिए. New Delhi में Thursday को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री स्याफरी स्यामसुद्दीन के बीच मुलाकात हुई. यहां दोनों देशों ने फिलिस्तीन में न्यायसंगत और स्थायी शांति के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.

इस दौरान मानवीय सहायता, संघर्षोत्तर पुनर्निर्माण और बहुपक्षीय शांति प्रयासों में सहयोग के अवसरों को स्वीकार किया गया. इंडोनेशिया ने संयुक्त राष्ट्र के नियमों के अंतर्गत गाजा में शांति सेना भेजने की अपनी तत्परता दोहराई है. दरअसल, यह तीसरी भारत-इंडोनेशिया रक्षा मंत्रियों की वार्ता थी, जिसकी सह-अध्यक्षता दोनों देशों के रक्षामंत्रियों ने की. यहां India के प्रस्ताव पर एक संयुक्त रक्षा उद्योग सहयोग समिति गठित करने पर सहमति बनी. इसके अंतर्गत रक्षा क्षेत्र से जुड़ी तकनीक हस्तांतरण, संयुक्त अनुसंधान व विकास और आपूर्ति शृंखला सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा.

इस बैठक ने दोनों देशों के व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करते हुए रक्षा सहयोग को नई गति प्रदान की. आसियान के इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण और India की समुद्री पहल को समान मूल्यों वाला बताया गया. हिंद महासागर क्षेत्रीय संगठन सहित बहुपक्षीय ढांचों में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमति बनी. समुद्री क्षेत्र जागरूकता, साइबर सुरक्षा तथा संयुक्त परिचालन क्षमता को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया.

इंडोनेशिया ने कहा कि क्षेत्रीय शांति को बढ़ावा देने में India एक महत्वपूर्ण साझेदार है. दोनों देशों के रक्षामंत्रियों ने 2025 गणतंत्र दिवस समारोह में इंडोनेशिया के President की India यात्रा और उनकी द्विपक्षीय चर्चाओं के सकारात्मक प्रभावों को याद किया. उन्होंने इस बात को भी सराहा कि 352 इंडोनेशियाई सैन्य कर्मियों ने गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया था. दोनों देशों ने विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है.

समुद्री डोमेन जागरूकता, साइबर सुदृढ़ीकरण और संयुक्त ऑपरेशनल तैयारी में सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया गया. रक्षा उद्योग सहयोग के विस्तार करने पर भी चर्चा हुई. वार्ता में द्विपक्षीय रक्षा सहयोग की मजबूती पर बातचीत की गई. India द्वारा प्रस्तावित संयुक्त रक्षा उद्योग सहयोग समिति बनाने का इंडोनेशिया ने स्वागत किया.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, रक्षा सहयोग समझौते और संयुक्त रक्षा सहयोग समिति के कार्यों को और मजबूत बनाने पर सहमति बनी है. साथ ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच बढ़ती सैन्य साझेदारी को लेकर भी बातचीत हुई. दोनों देशों ने तीनों सेनाओं के बीच बढ़ते संयुक्त अभियानों और अभ्यासों की प्रगति की सराहना की. इनमें सुपर गरुड़ शील्ड, गरुड़ शक्त‍ि, समुद्र शक्त‍ि, मिलन, तथा आगामी एयर मैन्युवर एक्सरसाइज शामिल हैं. दोनों पक्षों ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सैन्य शिक्षा संस्थानों में आपसी विजिट और अधिकारी आदान-प्रदान में वृद्धि का निर्णय लिया, जिससे इंटरऑपरेबिलिटी और ज्ञान-साझेदारी बढ़ेगी.

इस दौरान समुद्री सुरक्षा एवं बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर भी जोर दिया गया. India और इंडोनेशिया ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को प्राथमिकता दी. आसियान के नेतृत्व वाले मंचों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति जताई गई. समुद्री समन्वय, डोमेन अवेयरनेस और संयुक्त सुरक्षा पहलों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पनडुब्बी तकनीक, रक्षा चिकित्सा और फार्मा सहयोग पर भी वार्ता की गई है. इंडोनेशिया ने India की पनडुब्बी निर्माण क्षमता, विशेष रूप से स्कॉर्पीन श्रेणी कार्यक्रम और सप्लाई-चेन प्रबंधन को अत्यंत मूल्यवान बताया और इससे सीखने की इच्छा जताई.

दोनों देशों द्वारा रक्षा चिकित्सा, सैन्य स्वास्थ्य और फार्मा अनुसंधान, तकनीकी हस्तांतरण और मेडिकल क्षमता निर्माण पर भी विचार किया गया है. दोनों देशों ने फिलिस्तीन में न्यायपूर्ण और स्थायी शांति की आवश्यकता पर बल दिया. इस दौरान India की ओर से इंडोनेशिया को विशेष भेंट स्वरूप भारतीय सेना की रिमाउंट वेटरनरी कोर द्वारा प्रशिक्षित घोड़े और एक सेरेमोनियल कैरेज उपहार में देने की घोषणा की गई. दोनों रक्षा मंत्रियों ने बैठक के परिणामों पर संतोष जताया और उच्च-स्तरीय संपर्क बनाए रखने, व्यावहारिक सहयोग बढ़ाने तथा रक्षा एवं सुरक्षा क्षेत्र में संरचित प्रबंधन को जारी रखने का संकल्प लिया. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह वार्ता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई.

जीसीबी/एएसएच