कांग्रेस ने ‘संविधान’ और ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ पर बीआर गवई के बयानों को निजी राय बताया

New Delhi, 27 नवंबर . कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने Supreme court के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई के बयानों को लेकर प्रतिक्रिया दी है. बीआर गवई ने स्पष्ट किया है कि संविधान खतरे में नहीं है. उन्होंने न्यायपालिका पर Governmentी दबाव के आरोपों को भी गलत ठहराया. हालांकि, कांग्रेस के नेता उनके बयानों को निजी राय बताते हुए अभी भी Government पर सवाल उठा रहे हैं.

बीआर गवई के बयानों पर कांग्रेस सांसद तारिक अनवर ने से बातचीत में कहा, “उनकी अपनी राय है. आमतौर पर देखने को मिलता है कि Government संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है. वह एक तरीके से संवैधानिक संस्थानों को अपने अधीन लेने की कोशिश कर रही है.”

कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने भी पूर्व मुख्य न्यायाधीश को याद दिलाया कि पांच जज इसी भाजपा Government में जनता से न्याय मांगने के लिए आए थे.

उन्होंने कहा, “बीआर गवई को याद दिलाना चाहता हूं कि पांच जज इसी भाजपा Government में जनता से न्याय मांगने के लिए आए थे. इससे बड़ा और क्या प्रमाण हो सकता है? बीआर गवई के ध्यान में शायद यह चीज नहीं रही होगी कि पांच जजों ने सड़क पर उतरकर लोगों से न्याय मांगा था.”

इससे पहले, ‘संविधान’ और ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ जैसे विषयों पर जवाब दिया. ‘संविधान’ के विषय पर उन्होंने कहा, “मैं नहीं मानता कि संविधान खतरे में है. 1973 का केशवानंद भारती जजमेंट एकदम क्लियर है. उस जजमेंट में साफ कहा गया है कि संसद संविधान की ‘बेसिक स्ट्रक्चर’ में बदलाव नहीं कर सकती. संविधान बदला ही नहीं जा सकता.”

उन्होंने ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ के सवाल पर कहा, “Government का न्यायपालिका में हस्तक्षेप नहीं होता है. हां, जब कॉलेजियम कोई निर्णय लेता है तो कई तरह के फैक्टर्स पर विचार किया जाता है. उस समय एग्जीक्यूटिव, आईबी, लॉ मिनिस्ट्री, संबंधित चीफ जस्टिस, जिनका ट्रांसफर हो रहा है, चीफ मिनिस्टर और गवर्नर सभी की राय ली जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि कॉलेजियम किसी दबाव में काम करता है.”

डीसीएच/