![]()
कंपाला, 26 नवंबर . Pakistan के हुक्मरान सेना को तो ताकतवर बनाने की कोशिश में जुटे हैं लेकिन स्थानीय बलों या अर्धसैनिक बलों की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. Wednesday को सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि आर्मी चीफ असीम मुनीर के नेतृत्व में Pakistan की आंतरिक सुरक्षा बेहद खराब है.
इसमें यह भी कहा गया है कि ये विफलता अविश्वास और भेदभाव की भावना से प्रेरित है. इसमें Pakistan के रसूखदार पदों, खासकर सेना पर पंजाब प्रांत का दबदबा है, जबकि छोटे प्रांतों को हाशिए पर धकेल दिया गया है.
युगांडा के ‘डेली मॉनिटर’ की एक रिपोर्ट Pakistanी हुक्मरानों और सेना को लेकर उनकी सोच पर से पर्दा उठाती है और खुलासा करती है कि कैसे प्रांतीय Police और अर्ध सैनिक बलों की टुकड़ियों को मजबूत बनाने के बजाय, कमजोर किया जा रहा है. उन पर आर्मी का पूरा कब्जा है. इसमें कहा गया है कि हर नया आतंकी हमला सेना को ज्यादा फंड और ऑपरेशनल अधिकार देने का काम करता है.
हैरानी की बात है कि सेना तो इन हमलों के बाद मजबूत होती है लेकिन Police उसी दर से कमजोर! उनके सुधारों में निवेश करने या प्रोविंशियल लेवीज, पैरामिलिट्री फोर्सेज और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) के जवानों की काबिलियत बढ़ाने पर कोई जोर नहीं दिया जाता है.
रिपोर्ट में बताया गया है, “Pakistan की Police और अर्धसैनिक टुकड़ियों (जिनमें प्रोविंशियल लेवीज फोर्स और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) शामिल हैं) के हालात बेहद खराब हैं. बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) जैसे इलाकों में आतंकी हिंसा बढ़ रही है लेकिन इन स्थानीय बलों के पास इससे निपटने के संसाधन बहुत कम हैं. इस समस्या की जड़ में बजट का बड़ा असंतुलन है. 2025-26 के बजट में, Pakistan ने डिफेंस के लिए 2.55 ट्रिलियन (Pakistanी) रुपया आवंटित किया, पिछले साल से 20 फीसदी ज्यादा! ये पूरे बजट का बड़ा हिस्सा है, और इसका मुख्य फायदा आर्मी को होगा.”
इसमें आगे कहा गया है, “इसके उलट, 351.7 बिलियन Pakistanी रुपये, जो मिलिट्री की फंडिंग का मुश्किल से सातवां हिस्सा है, आम लोगों की सुरक्षा हेतु आवंटित किया गया. जिसमें फेडरल Police, रेंजर्स और एफसी जैसी ‘सिविल आर्म्ड फोर्स’ शामिल हैं. इस अंतर का मतलब है कि Police और अर्धसैनिक ईकाइयों को सीमित शक्ति, उपकरण और प्रशिक्षण के साथ काम करना होगा.” रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जानलेवा आतंकी हमलों के बाद, मुनीर ने खुद माना कि स्थानीय बल पर दबाव बढ़ रहा है. खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के कबायली जिलों का दौरा करते हुए, उन्होंने कहा कि आतंकी Police को ‘लगातार निशाना’ बना रहे थे.
रिपोर्ट में बताया गया है, “ये नुकसान इतने ज्यादा हो गए थे कि केपी में परेशान Policeवालों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बेहतर सुरक्षा और स्पष्टता की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. मुनीर ने Police और अन्य प्रशासनिक एजेंसियों को ‘पूरी मदद देने’ का वादा किया, और उनके बलिदान की तारीफ की. फिर भी, ऐसे वादों के बावजूद, स्थानीय बल कम लोगों, कम सुविधाओं (बुलेटप्रूफ जैकेट भी उनके पास नहीं है), और बहुत कम प्रशिक्षण के साथ समस्याओं का सामना कर रहे हैं, जबकि अच्छी फंडिंग वाली आर्मी अपनी अहमियत बनाए हुए है.”
इसमें कहा गया कि Pakistan की मौजूदा हालत चिंताजनक और बेहद अस्थिर है. Police और पैरामिलिट्री फोर्स लड़ाई में जितनी तेजी से खत्म हो रही हैं, उतनी गति से उन्हें ताकतवर बनाने का काम नहीं किया जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया, “लगभग हर दिन Police या एफसी जवानों के मरने की खबरें आती हैं, जो पहले से ही उस इलाके में हिंसा झेल रहे परिजनों के लिए दोहरी मार है. मुनीर और उनके साथी आर्मी जनरलों ने आतंक की असली वजहों या सिविलियन फोर्स की तादाद की कमी को दूर करने के बजाय, सैन्य अभियान और जुबानी हमलों पर पर ज्यादा ध्यान दिया है.”
–
केआर/