![]()
भुवनेश्वर, 26 नवंबर . Odisha की बहरामपुर यूनिवर्सिटी की रिंकी नायक ने ‘खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स (केआईयूजी) 2025’ में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है.
इस प्रतियोगिता में शिवाजी यूनिवर्सिटी की काजोल मगदेव सरगर ने 158 किलोग्राम भार उठाते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया, जबकि चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की रानी नायक ने 148 किलोग्राम भार उठाकर ब्रॉन्ज मेडल जीता. रिंकी ने केआईयूजी में सिल्वर जीतने से पहले अस्मिता वेटलिफ्टिंग लीग में गोल्ड अपने नाम किया था.
यह उपलब्धि प्रतियोगिता में रिंकी नायक द्वारा उठाए गए कुल वजन से कहीं अधिक थी. एक वक्त था, जब पिता को खोने के बाद रिंकी डिप्रेशन में थीं, लेकिन इससे उबरकर उन्होंने पिता के सपने को साकार किया, क्योंकि मां ने भले ही रिंकी को एक वेटलिफ्टर बनाने में साथ नहीं दिया, लेकिन पिता ही परिवार के इकलौते ऐसे सदस्य थे, जिनसे उन्हें इस खेल को जारी रखने के लिए इजाजत मिली थी.
रिंकी पर वेटलिफ्टिंग छोड़ने के लिए परिवार का दबाव था, लेकिन उनका सपना इस खेल में नाम कमाने का था. रिंकी ने एथलेटिक्स के बाद जब वेटलिफ्टिंग में कदम रखा, तो उन्हें काफी हिम्मत मिली. मां की सख्त मनाही के बावजूद उन्होंने ट्रेनिंग जारी रखी. हालांकि, इस बीच पिता, दोस्तों और कोच ने उन्हें हिम्मत दी.
बहरामपुर की रहने वाली रिंकी ने स्कूल से ही एथलेटिक्स शुरू कर दिया था. इसके बाद कोच ने उन्हें वेटलिफ्टिंग शुरू करने को कहा. भले ही मां इससे परेशान थीं, जिन्होंने कभी उन्हें एक खिलाड़ी बनने की इजाजत नहीं दी, लेकिन पिता चाहते थे कि बेटी अपने सपने को पूरा करे.
रिंकी के पिता विशाखापत्तनम में एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहे थे. घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. लॉकडाउन में नौकरी छूट जाने के बाद जब पिता वापस घर लौटे, तो परिवार आर्थिक संकट में आ गया.
रिंकी घर से करीब 3 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग करती थीं. 24 जुलाई को 2020 के दिन जब वह ट्रेनिंग से वापस लौटीं, तो पता चला कि पिता नहीं रहे. पिता को खोकर रिंकी गम में डूब गईं. वह डिप्रेशन में चली गई थीं. उनके लिए नॉर्मल होना मुश्किल था, लेकिन दोस्त और कोच उनके साथ खड़े रहे.
आखिरकार, रिंकी नायक की मेहनत रंग लाई. उन्होंने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स 2025 में मेडल जीतकर खुद को साबित किया है. अब रिंकी का सपना वैश्विक मंच पर India का नाम रोशन करने का है.
–
आरएसजी/एबीएम