क्या शरीर में बनने वाली हर गांठ खतरनाक होती है? आयुर्वेद से जानें अर्बुद और ग्रन्थि में फर्क

New Delhi, 26 नवंबर . शरीर में अचानक कोई गांठ दिख जाए तो ज्यादातर लोग घबरा जाते हैं, लेकिन हर गांठ एक जैसी नहीं होती. कुछ बिलकुल सामान्य होती हैं और कुछ ऐसी भी हो सकती हैं जिन्हें नजरअंदाज करना ठीक नहीं. आयुर्वेद में गांठों को दो श्रेणियों अर्बुद और ग्रन्थि में समझाया गया है. दोनों की प्रकृति, वजह और जोखिम अलग-अलग होते हैं, इसलिए इनके बारे में जानना जरूरी है ताकि सही समय पर सही उपचार लिया जा सके.

अर्बुद ऐसी गांठ होती है जो ठोस होती है और धीरे-धीरे बढ़ती रहती है. इसमें आमतौर पर दर्द नहीं होता, इसलिए कई लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते. आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर के मांस, रक्त और मेद जैसे धातु असंतुलित हो जाते हैं और उस जगह रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, तब टिश्यू गाढ़े होकर गांठ बनाने लगते हैं.

अर्बुद की वृद्धि रुकती नहीं, इसी वजह से इसे ध्यान देने की जरूरत होती है. कुछ अर्बुद हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ आगे चलकर खतरा भी पैदा कर सकते हैं.

दूसरी ओर, ग्रन्थि आमतौर पर छोटी और हल्की सख्त गांठ होती है. यह अक्सर इन्फेक्शन, हार्मोनल बदलाव या लिम्फ नोड्स की सूजन के कारण बनती है. ग्रन्थि में हल्का दर्द भी हो सकता है और यह नरम, जैली जैसी या थोड़ी कठोर भी हो सकती है.

कई बार यह अपने आप कुछ दिनों में कम भी हो जाती है. आयुर्वेद के अनुसार ग्रन्थि वात, पित्त और कफ तीनों के असंतुलन से बनती है. कफ गांठ देता है, वात उसे कठोर करता है और पित्त हल्की गर्मी या रेडनेस पैदा कर सकता है.

दोनों में बड़ा फर्क यह है कि अर्बुद बढ़ने वाली गांठ है, जबकि ग्रन्थि आमतौर पर बढ़ती नहीं. अर्बुद दर्दरहित होता है और गहरे टिश्यू में बनता है, जबकि ग्रन्थि सतही भी हो सकती है और हल्का दर्द दे सकती है.

आधुनिक विज्ञान की भाषा में अर्बुद को ट्यूमर-टाइप ग्रोथ कहा जाता है, जहां सेल्स का डिवीजन कंट्रोल से बाहर हो जाता है. ये बेनिन भी हो सकते हैं और मैलिग्नेंट भी. ग्रन्थि ज्यादातर इन्फेक्शन, वायरल इश्यू या ग्लैंड स्वेलिंग की वजह से बनती है.

कुछ गांठें सामान्य मानी जाती हैं, जैसे सॉफ्ट फैटी सिस्ट, इन्फेक्शन से बनी दर्दनाक गांठ या वायरल के दौरान बढ़ने वाले लिम्फ नोड्स. अगर गांठ लगातार बढ़ रही हो, बहुत कठोर हो, हिलती न हो, दर्द न करे और साथ में वजन कम हो या कमजोरी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना जरूरी है.

पीआईएम/वीसी