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New Delhi, 26 नवंबर . देश में हर साल 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. India के संविधान की 76वीं वर्षगांठ के अवसर पर Wednesday को Prime Minister Narendra Modi समेत कई नेताओं ने social media के जरिए देशवासियों को शुभकामनाएं दी. केंद्र में Narendra Modi की Government के आने के बाद साल 2015 से ‘संविधान दिवस’ मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई.
संविधान के प्रति पीएम मोदी कितने सक्रिय और सजग रहे हैं, इसकी बानगी उनके Gujarat के Chief Minister रहते हुए देखने को मिली थी.
‘मोदी आर्काइव’ नाम के social media प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पीएम मोदी से जुड़ा एक किस्सा शेयर किया गया है, जिसमें बताया गया कि कैसे शुरुआती दिनों से ही वह संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के आदर्शों का पालन करते रहे हैं.
पोस्ट में बताया गया कि 2010 में India अपने संविधान की 60वीं सालगिरह मना रहा था. उस समय Narendra Modi Gujarat के Chief Minister थे. उन्होंने ‘संविधान गौरव यात्रा’ का नेतृत्व किया, जो संविधान के प्रति अनोखी और यादगार श्रद्धांजलि थी. इसके साथ पोस्ट में पीएम मोदी की इस यात्रा से जुड़ी कुछ पुरानी फोटो भी शेयर की गई हैं.
‘मोदी आर्काइव’ एक्स पोस्ट में बताया गया कि Gujarat के सुरेंद्रनगर में यह यात्रा 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अपनाने की 60वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित की गई थी. संविधान के सम्मान में, एक सजे हुए हाथी के ऊपर उसकी प्रति रखी गई थी. खास तौर पर डिजाइन हौदा (एक पारंपरिक काठी) में एक बड़ी रेप्लिका रखी गई थी, जिसमें Narendra Modi, राज्य के मंत्रियों और लगभग 15,000 लोग हाथी के साथ-साथ चले.
पोस्ट में आगे जानकारी दी गई कि इस जुलूस को और भी दिलचस्प बनाने वाली बात इसकी ऐतिहासिक प्रेरणा थी. यह पाटन में राजा सिद्धराज के राज के दौरान सदियों पुरानी परंपरा से प्रेरित था, जब आचार्य हेमचंद्र की संस्कृत व्याकरण की किताब को हाथी पर रखकर सड़कों पर घुमाया जाता था. तत्कालीन Chief Minister Narendra Modi की ‘संविधान गौरव यात्रा’ उसी भावना से India की सामूहिक चेतना में संविधान को उसकी सही जगह दिलाने की कोशिश थी.
‘मोदी आर्काइव’ पोस्ट में बताया गया कि ‘संविधान गौरव यात्रा’, ठीक वैसा ही आयोजन था, जैसा आज हम ‘संविधान दिवस’ मनाते हैं, यह केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं था. यह एक्शन लेने का आह्वान था. Narendra Modi का लक्ष्य साफ था, ”संविधान के बहुत ज्यादा महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना, नागरिकों को इसके मुख्य मूल्यों के बारे में बताना, और इसके सिद्धांतों के प्रति देश के कमिटमेंट को पक्का करना.”
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एसके/एबीएम