संविधान दिवस 2025: पुरी बीच पर सुदर्शन पटनायक ने 6 टन रेत से बनाया शानदार सैंड आर्ट

पुरी, 26 नवंबर . संविधान दिवस के मौके पर पुरी के मशहूर समुद्र तट पर एक बार फिर बेहद खास नजारा देखने को मिला. दुनिया भर में अपनी अनोखी सैंड आर्ट के लिए मशहूर और पद्म श्री से सम्मानित सुदर्शन Patnaयक ने इस बार भी अपनी कला से सबका दिल जीत लिया. Wednesday को उन्होंने पुरी बीच पर एक खूबसूरत और प्रभावशाली सैंड स्कल्पचर बनाया, जिसमें भारतीय संविधान की झलक बेहद शानदार तरीके से दिखाई गई. इस कला पर बड़े अक्षरों में ‘हैप्पी कॉन्स्टिट्यूशन डे’ लिखा था.

सुदर्शन Patnaयक की इस बार की सैंड आर्ट खास इसलिए भी थी क्योंकि यह लगभग 6 टन रेत से बनाई गई और करीब 6 फीट ऊंची थी. दूर से ही यह एक शानदार स्कल्पचर लग रहा था जो India की लोकतांत्रिक भावना की ताकत और खूबसूरती को दर्शाता था. Patnaयक का मकसद सिर्फ एक कलात्मक मूर्ति बनाना नहीं था, बल्कि लोगों को यह याद दिलाना था कि हमारा संविधान ही हमारे लोकतंत्र की असली ताकत है और इसे मजबूत रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है.

इस सैंड स्कल्पचर को बनाने में Patnaयक को उनके सैंड आर्ट इंस्टीट्यूट के छात्रों का भी पूरा साथ मिला. टीम ने मिलकर इसे बहुत कम समय में तैयार किया और बीच पर घूमने आने वाले लोग इसे देखते ही रुक-रुककर तस्वीरें खींचने लगे. कई लोग इंस्टॉलेशन के पास जाकर संविधान दिवस की शुभकामनाएं देते हुए वीडियो बनाते भी नजर आए.

सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन Patnaयक ने कहा कि संविधान दिवस के मौके पर हमने ‘हैप्पी कॉन्स्टिट्यूशन डे’ मैसेज के साथ यह छह फुट ऊंची रेत की मूर्ति बनाई है. आज हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है, क्योंकि यह India के संविधान को अपनाने का दिन है. अपनी कला के ज़रिए, मैं इस पवित्र दिन पर सभी को अपनी शुभकामनाएं देना चाहता हूं.

गौरतलब है कि India में हर साल 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है. इसी दिन साल 1949 में हमारा संविधान अपनाया गया था. देशभर में इस दिन को बड़े सम्मान के साथ मनाया जाता है. स्कूलों और कॉलेजों में प्रस्तावना पढ़ी जाती है, जागरूकता कार्यक्रम होते हैं और कई तरह की शैक्षिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. इन सबका उद्देश्य यही होता है कि लोग हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों (न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व) को समझें और अपनाएं. साथ ही, नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में भी जागरूकता बढ़ाई जाती है.

पीआईएम/डीएससी