‘इंडिपेंडेंट फिल्मों में किन चुनौतियों का करना पड़ता है सामना?’ रवि दुबे ने विस्तार से बताया

Mumbai , 25 नवंबर . India में इंडिपेंडेंट फिल्मों की दुनिया हमेशा से संघर्षों और सीमित अवसरों से घिरी रही है. बड़े बजट, बड़े नाम और इंडस्ट्री के स्थापित नेटवर्क की भीड़ में उभरते फिल्ममेकर्स की आवाज कई बार दब जाती है. ऐसे में फिल्म फेस्टिवल ही वह जगह बनते हैं, जहां असली प्रतिभा को पहचान मिलने की उम्मीद रहती है.

इसी कड़ी में इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) एक बेहद अहम मंच माना जाता है. इस साल के फेस्टिवल में Actor और निर्माता रवि दुबे ने न सिर्फ इस महत्व को बताया, बल्कि उन चुनौतियों पर भी बात की, जिनसे इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर रोज गुजरते हैं.

आईएफएफआई के दौरान से बात करते हुए रवि दुबे ने बताया कि देश में कई युवा और अनुभवी फिल्ममेकर हैं, जो अद्भुत काम कर रहे हैं, लेकिन उन्हें अपनी फिल्मों को दर्शकों और निवेशकों तक पहुंचाने में मुश्किलें होती हैं.

उन्होंने कहा, ”सबसे बड़ी मुश्किल फंडिंग की होती है. इंडिपेंडेंट फिल्में आमतौर पर अपने दम पर बनाई जाती हैं, इसलिए पैसा जुटाना मुश्किल होता है. इसके साथ ही तकनीक, संसाधन और सही टीम मिलना भी चुनौती की तरह है. कई बार फिल्म पूरी होने के बाद भी उसे रिलीज करने के लिए सही प्लेटफॉर्म नहीं मिलता. इन सब कारणों से कई अच्छे प्रोजेक्ट अधूरे रह जाते हैं या बहुत छोटे स्तर पर रिलीज होते हैं, जिससे उन्हें पहचान नहीं मिल पाती.”

जब ने रवि से पूछा कि इंडिपेंडेंट फिल्ममेकर्स के लिए आईएफएफआई कितना महत्वपूर्ण मंच है, तो उन्होंने इसे देश का सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली प्लेटफॉर्म बताया. उन्होंने कहा, ”यह सिर्फ एक फेस्टिवल नहीं है, बल्कि वह जगह है जहां कलाकार, निर्माता और दर्शक एक ही माहौल में मिलते हैं. यहां फिल्ममेकर अपने काम को उन लोगों के सामने पेश कर सकते हैं, जो सच में नई कहानियों की तलाश में रहते हैं.”

रवि ने कहा, “दुनिया भर में कई बड़े फिल्म फेस्टिवल हैं, लेकिन India में आईएफएफआई का महत्व सबसे अलग है, क्योंकि यह भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के हर वर्ग को जोड़ता है, चाहे वह क्षेत्रीय सिनेमा हो, इंडिपेंडेंट फिल्में हों, या मुख्यधारा के प्रोजेक्ट हों.”

रवि दुबे अपनी पत्नी और Actress-प्रोड्यूसर सरगुन मेहता के साथ आईएफएफआई में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि उन्हें अब लगता है कि उन्हें बहुत पहले यहां आ जाना चाहिए था.

उन्होंने कहा, ”फेस्टिवल में पहुंचकर मैंने महसूस किया कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री कितनी बड़ी, विविध और टेक्नोलॉजी के लिहाज से कितनी तेजी से आगे बढ़ रही है. यहां आकर मैं नए लोगों से मिला, नई तकनीकें देखी और फिल्म निर्माण की बदलती दिशा को समझा. मेरे लिए यह अनुभव बेहद प्रेरणादायक रहा.”

पीके