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New Delhi, 25 नवंबर . इतिहास में एक अद्भुत और रोमांचक अध्याय के रूप में 26 नवंबर 1922 का दिन दर्ज है. इसी दिन ब्रिटिश पुरातत्वविद् हावर्ड कार्टर ने मिस्र के युवा फराओ तुतनखामन की कब्र का मुख्य कक्ष पहली बार खोला और दुनिया को प्राचीन मिस्र की अनमोल विरासत से रूबरू कराया.
कई वर्षों तक किंग्स की घाटी में खुदाई करने के बाद कार्टर लगभग हार मान चुके थे. खुदाई रोकने से ठीक पहले उन्हें एक छोटा-सा सुराग मिला. ये जमीन के भीतर जाती सीढ़ियां थीं. धीरे-धीरे रास्ता साफ हुआ और कार्टर तथा उनके वित्तीय सहयोगी लॉर्ड कार्नावॉन उस प्रवेश द्वार तक पहुंचे, जहां हजारों वर्ष पुराना रहस्य छिपा था. जब दरवाजे को खोलते समय एक साथी ने पूछा कि अंदर क्या दिखाई दे रहा है, तो कार्टर ने उत्साह से भरी आवाज में कहा—“ यस वंडरफुल थिंग्स!” यानी “हां, अद्भुत चीजें!”
तूतनखामन मिस्र के 18वें राजवंश के फराओ थे. तूतनखामन ने कम उम्र में सिंहासन संभाला और लगभग 19 वर्ष की आयु में ही मृत्यु हो गई. उनकी कब्र सदियों तक लगभग सुरक्षित रही. इसी वजह से उनका अंतिम विश्राम स्थल आज तक की सबसे महत्वपूर्ण और संरक्षित पुरातात्विक खोज माना जाता है.
कब्र के अंदर सोने से बना प्रसिद्ध मुखौटा, आभूषण, अनुष्ठानों में प्रयुक्त वस्तुएं, हथियार, सिंहासन, रथ और स्वयं फराओ के ममीकृत अवशेष सहित पांच हजार से अधिक वस्तुएं मिलीं. इस खोज ने न केवल मिस्र की सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान दी बल्कि पूरी दुनिया में मिस्री सभ्यता के प्रति जिज्ञासा और अध्ययन का दरवाजा खोल दिया.
कब्र खुलने के बाद लॉर्ड कार्नावॉन की अचानक मृत्यु ने “ममी का श्राप” जैसी कहानियों को जन्म दिया. कई लोगों ने यह मान लिया कि जो भी फराओ की शांति भंग करेगा, उसका अंत दुखद होगा. हालांकि वैज्ञानिक इसे संयोग और अंधविश्वास बताते हैं, मगर यह रहस्य आज भी लोगों की कल्पना को रोमांचित करता है.
26 नवंबर 1922 की यह घटना मानव इतिहास की उन उपलब्धियों में गिनी जाती है, जिसने संस्कृति, इतिहास और पर्यटन की दिशा बदल दी और तुतनखामन को अमर प्रसिद्धि दिला दी.
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केआर/