श्री चक्र मंदिर: इस मंदिर में चढ़ाया गया हर प्रसाद बनता है जरूरतमंदों का भोजन

New Delhi, 25 नवंबर . देश भर में बने सभी देवी-देवताओं के मंदिर आस्था और विश्वास के प्रतीक हैं. मंदिरों की मान्यता भक्तों को मंदिर तक ले आती है, जहां वे अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना करवाते हैं.

तमिलनाडु के होसुर में बना मंदिर आस्था के साथ-साथ मूक प्राणियों और जरूरतमंदों के लिए दूसरा घर है, जहां उनके लिए भोजन की व्यवस्था भी हो जाती है.

तमिलनाडु के होसुर में गोकुल नगर में ब्रह्मा हिल्स रोड के पास पहाड़ी पर श्री चक्र मंदिर बना है. ये मंदिर अपनी आस्था के लिए तो प्रसिद्ध है ही, साथ ही मानवता का भी जीता-जागता उदाहरण है. मंदिर में एक गोल, पत्थर पर बने चक्र की पूजा होती है, जिसे एशिया के सबसे बड़े श्री चक्र मंदिरों में एक माना जाता है. चक्र पर कई रेखाएं बनी हैं, जो देखने में कुंडली के चार्ट की तरह दिखती हैं. मंदिर में बना चक्र ब्रह्मांड के त्रिपक्षीय विभाजन को दिखाता है जिसमें पृथ्वी, वायुमंडल और सूर्य शामिल हैं. माना जाता है कि इस मंदिर में पूजा-पाठ करने से जीवन के सारे दोष और आने वाले संकट टल जाते हैं.

इस चक्र को शरीर, श्वास और चेतना से भी जोड़ा गया है, जिसमें गर्दन से सिर तक, गर्दन से नाभि तक, और नाभि से निचले धड़ को शामिल किया गया है. इन्हें मानव शरीर के सात चक्रों से जोड़कर देखा गया है.

मंदिर की खास बात ये है कि इस मंदिर में चक्र और अन्य देवी-देवताओं पर चढ़ाया गया जल और पानी या फल कभी बेकार नहीं जाते हैं. चक्र के नीचे से एक भूमिगत पाइप लगाया गया है, जिससे चक्र पर चढ़ाया गया दूध बाहर पशुओं के लिए रखी बाल्टी में जाता है. दूध और जल को आवारा कुत्तों, गाय और पक्षियों में वितरित किया जाता है. मंदिर में चढ़ने वाले सभी फल और मिठाई जरूरतमंदों में बांट दिए जाते हैं.

मंदिर की अनूठी व्यवस्था मानवीय पूजा-अर्चना से परे, पशुओं के प्रति गहरी दयालुता की सोच को दिखाती है. मंदिर का संचालन करने वाले लोग ये सुनिश्चित करते हैं कि जानवरों को ताजा और पौष्टिक भोजन मिले. इसी वजह से मंदिर के बाहर रहने वाला हर जरूरतमंद शख्स और प्राणी कभी भूखा नहीं रहता.

पीएस/एएस