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Mumbai , 25 नवंबर . मशहूर फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा जल्द ही बतौर प्रोड्यूसर अपकमिंग फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ से डेब्यू करने जा रहे हैं. हाल ही में उन्होंने बताया कि फिल्मों में आना उनका बचपन का सपना था, जो कि अब जाकर पूरा हो रहा है.
उन्होंने एक पुराना किस्सा याद किया, “जब ‘मुगले-आजम’ को थिएटर प्ले के रूप में दोबारा लाया जा रहा था, तब डायरेक्टर फिरोज खान साहब ने मुझे कॉस्ट्यूम डिजाइन करने को कहा. मैंने उनसे पूछा था कि क्या मैं इसे प्रोड्यूस भी कर सकता हूं, क्योंकि मुझे वो फिल्म बहुत पसंद थी और प्रोड्यूसर-डायरेक्टर बनने की इच्छा भी थी.”
मनीष मल्होत्रा ने से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने ‘मुगल-ए-आजम’ नाटक का पुराना किस्सा याद करते हुए कहा, “नाटक के दौरान निर्देशक फिरोज खान ने मुझे कॉस्ट्यूम डिजाइन करने को कहा था, जिस पर मैंने उनसे पूछा था कि क्या मैं इसे प्रोड्यूस भी कर सकता हूं? क्योंकि मुझे वो फिल्म बहुत पसंद थी और प्रोड्यूसर-डायरेक्टर बनने की इच्छा भी थी.”
उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी शुरू करने के बारे में बताया, “कोविड के समय मैंने सोचा कि अब कुछ तो अपने लिए करना चाहिए, तब मैंने सोचा कि ऐसी फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की शुरुआत करते हैं, जो सिर्फ एक तरह की फिल्में नहीं बनाए, बल्कि रोमांटिक, फैमिली ड्रामा, धार्मिक, म्यूजिकल, और बच्चों की फिल्में बनाए.”
उन्होंने आगे कहा, “मेरी फिल्म ‘साली मोहब्बत’ 12 दिसंबर को जी5 पर आ रही है, जिसके बारे में हमने पिछले साल ही जानकारी दी थी, और हमारी दूसरी फिल्म ‘गुस्ताख इश्क’ है, जो कि 1990 के दौर की एक रोमांटिक फिल्म है, जब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे. इसके गाने और कविताएं मुझे काफी पसंद हैं. अब हमारी अगली फिल्म ‘बन टिक्की’ है, जो कि एक पिता की कहानी है.
मनीष ने बताया कि वे अमर चित्रकथा, म्यूजिकल फिल्में, और कई तरह के कई जॉनर की फिल्में पर्दे पर लाना चाहते हैं.
ने जब मनीष से उनकी जिंदगी के सबसे कठिन फैसले को लेकर पूछा, तो उन्होंने इसका जबाव देते हुए कहा, “मेरी जिंदगी का सबसे कठिन फैसला कॉस्ट्यूम डिजाइन की दुनिया से मेन स्ट्रीम स्टाइलिंग में जाना था. क्योंकि मैं कॉस्ट्यूम डिजाइन की दुनिया से आया हूं और उसके बाद मेन स्ट्रीम स्टाइलिंग में जाने का मतलब अपना एक बुटिक खोलना और सब कुछ खुद ही देखना वो बहुत अलग था और आज भी स्टाइलिंग की दुनिया में भी जब आप जाते हैं, तो कॉस्ट्यूम डिजाइनर अलग होते हैं, और फैशन डिजाइनर अलग होते हैं. वो मेरे लिए एक मेजर फैसला था. उनमें मैं कामयाब हुआ, जिसके लिए मैंने बहुत मेहनत की है, साथ ही मैंने उस दौरान बहुत फिल्में की थी. चूंकि मैं मेहनत से घबराता नहीं हूं और अब मैंने प्रोड्यूस करना भी शुरू कर दिया है. तो मेहनत करना बरकरार है.”
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एनएस/डीएससी