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New Delhi, 24 नवंबर . मोदी Government की ओर से देश में दशकों पुराने कई श्रम कानूनों को समाप्त कर चार नई नए श्रम संहिताओं को लागू कर दिया है, जिसमें वेतन की परिभाषा को बदला गया है.
आज हम इस आर्टिकल में समझेंगे कि इससे आपको कैसे फायदा होगा और क्या इससे ग्रेच्युटी भुगतान बढ़ेगा?
नई श्रम संहिताओं के तहत वेतन में आधार वेतन, महंगाई भत्ते और नौकरी पर रोकने के लिए दिए गए भत्ते को मानकीकृत कर दिया है.
हालांकि, एचआरए, आनेजाने के भत्ते और नियोक्ता की ओर से दिए जाने वाले पीएफ योगदान एवं कमीशन को इससे अलग रखा है. नई वेतन संहिता 2019 के मुताबिक, किसी भी कंपनी के सीटीसी में इनकी हिस्सेदारी 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती है.
इस नए नियम के आने से ग्रेच्युटी भुगतान में पहले के मुकाबले इजाफा देखने को मिल सकता है, क्योंकि पहले ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन केवल आधार वेतन और महंगाई भत्ते के आधार पर किया जाता था, जिसे कंपनियां अकसर कम रखती थी.
नए नियम के मुताबिक, यह सीटीसी का कम से कम 50 प्रतिशत होंगे, जिससे ग्रेच्युटी भुगतान पहले के मुकाबले बढ़ सकता है.
हालांकि, अभी भी ग्रेच्युटी भुगतान की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह निजी क्षेत्र के कर्मचारी के लिए 20 लाख रुपए और Governmentी क्षेत्र के कर्मचारी के लिए 25 लाख रुपए बनी हुई है.
वेतन की नई परिभाषा तय होने से प्रोविडेंट फंड (पीएफ) में भी बदलाव देखने को मिलेंगे.
एंप्लॉय प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) एक्ट के तहत 15,000 रुपए तक के आधार वेतन प्लस महंगाई भत्ते पर 12 प्रतिशत का योगदान अनिवार्य है. ऐसे में जिन कर्मचारियों का आधार वेतन प्लस महंगाई भत्ते 15,000 से अधिक है. उनके पीएफ योगदान में कोई बदलाव नहीं होगा. वहीं, अगर यह 15,000 से कम हो तो पीएफ योगदान बढ़ सकता है.
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एबीएस/