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कोलकाता, 23 नवंबर . पश्चिम बंगाल में एसआईआर प्रक्रिया लगातार विवादों में है. इसी क्रम में राज्य के कई Governmentी स्कूलों के शिक्षकों ने अधिकारियों के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत दी है और आरोप लगाए कि अधिकारी उन्हें राज्य में एसआईआर के लिए बूथ-लेवल ऑफिसर (बीएलओ) के तौर पर काम करने के लिए नियमित शिक्षण कार्य से छूट नहीं दे रहे हैं.
एसआईआर प्रक्रिया में शामिल बीएलओ, असल में पश्चिम बंगाल के अलग-अलग Governmentी स्कूलों से जुड़े टीचर हैं. उन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि अधिकारी आयोग के आदेश का सम्मान नहीं कर रहे हैं.
शिक्षकों ने शिकायत की है कि उन्हें पहले हाफ में अपने नियमित शिक्षण कार्य में शामिल होने के लिए ‘मजबूर’ किया जाता है और फिर दूसरे हाफ में बीएलओ ड्यूटी के लिए भेज दिया जाता है.
उन्होंने कहा कि इससे न सिर्फ काम का बहुत ज्यादा प्रेशर बढ़ रहा है, बल्कि वोटरों के बीच बांटे जाने वाले फॉर्म इकट्ठा करने के प्रोसेस, उन फॉर्म का डिजिटाइजेशन और बीएलओ ऐप के जरिए अपलोड करने पर भी असर पड़ रहा है.
वहीं, पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय के सूत्रों ने बताया, “चुनाव आयोग स्कूल अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों को काफी गंभीरता से ले रहा है और जल्द ही राज्य Government से बात करके उन्हें शिक्षकों को उनके नियमित शिक्षण कार्य से हटाकर बीएलओ की ड्यूटी करने का निर्देश देगा.”
शिक्षकों की ओर से चुनाव आयोग में यह शिकायत उस समय दर्ज कराई गई है, जब पश्चिम बंगाल में लगातार बीएलओ के आत्महत्या के मामलों ने तूल पकड़ा है.
Saturday को भी कथित तौर पर एक महिला शिक्षक, जो बीएलओ की जिम्मेदारी भी निभा रही थीं, ने आत्महत्या की. राज्य में यह आत्महत्या का दूसरा मामला था. इस पर पश्चिम बंगाल की Chief Minister ममता बनर्जी ने दुख व्यक्त करते हुए बीएलओ के आत्महत्या के लिए चुनाव आयोग को जिम्मेदार ठहराया था.
बीएलओ ने चुनाव आयोग से फॉर्म अपलोड के समय सर्वर की धीमी गति की भी शिकायत की है. इस पर सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने कहा, “आयोग ने अपनी टेक्निकल टीम को इस समस्या को हल करने का निर्देश दिया है और मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा.”
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डीसीएच/