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चेन्नई, 22 नवंबर . चेन्नई की सीबीआई कोर्ट ने 21 नवंबर को दो निजी फर्मों और दो व्यक्तियों को बैंक धोखाधड़ी के मामले में दोषी ठहराया और सजा सुनाई है. मेसर्स अफ्रिना स्टील रोलिंग मिल्स (निजी फर्म) और मेसर्स बशीर एंड कंपनी (निजी फर्म) के साथ ही नजीर अहमद (दोनों फर्मों के मालिक) और आशिक अराफात को मामले में दोषी ठहराया गया है.
सीबीआई कोर्ट ने नजीर अहमद की दोनों निजी फर्मों को 20-20 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोषी नजीर अहमद को 7 साल के लिए सश्रम कारावास और 40 लाख रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई है. दोषी आशिक अराफात को 1 साल के लिए सश्रम कारावास और 20,000 रुपये का जुर्माना भरने की सजा सुनाई गई है. सभी आरोपियों पर कुल 80,20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने केनरा बैंक, Bengaluru के मुख्य सतर्कता अधिकारी द्वारा दिनांक 09 सितंबर 2010 को दी गई शिकायत के आधार पर 24 सितंबर 2010 को यह मामला दर्ज किया था. आरोप था कि आरोपी निजी कंपनियां मेसर्स अफ्रिना स्टील रोलिंग मिल्स और मेसर्स बशीर एंड कंपनी, नजीर अहमद और उनकी पत्नी फातिमा रिजवाना और आशिक अराफात द्वारा संचालित साझेदारी फर्म थीं.
आरोपियों ने केनरा बैंक को धोखा देने के इरादे से चेन्नई के किलपौक शाखा में केनरा बैंक के मुख्य प्रबंधक टी. राजेंद्रन और के.एस. अशोक पैनल वैल्यूअर के रूप में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया और आपराधिक इरादे से साल 2007-2008 के दौरान आरोपी निजी कंपनियों को अनुचित लाभ पहुंचाया. निजी आरोपी व्यक्तियों ने झूठे और मनगढ़ंत दस्तावेज प्रस्तुत किए. इसके आधार पर बैंक से 405.47 लाख रुपये का कर्ज और बैंक गारंटी प्राप्त की गई. इसके जरिए केनरा बैंक को नुकसान पहुंचाया गया.
जांच पूरी होने पर सातवें अभियुक्तों के विरुद्ध 31 मई 2012 को आरोप पत्र दाखिल किया गया. 12 अक्टूबर 2015 को निचली अदालत द्वारा अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप तय किए गए. मुकदमे के दौरान टी. राजेंद्रन और के.एस. अशोक की मृत्यु हो गई और उनके विरुद्ध आरोप हटा दिए गए. इसके बाद सीबीआई मामलों की अदालत द्वारा 21 नवंबर 2025 को निर्णय सुनाया गया और चारों अभियुक्तों को दोषी ठहराया गया और सजा सुनाई गई. फातिमा रिजवाना को दोषी नहीं पाया गया और उन्हें बरी कर दिया गया.
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एएमटी/डीएससी