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New Delhi, 22 नवंबर . सर्दियां आते ही लोग दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों को लेकर ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं. फरवरी 2023 में प्रकाशित एक मेटा विश्लेषण में यह पाया गया कि ठंडा तापमान रक्त को गाढ़ा कर सकता है, क्योंकि ठंड लगने के कुछ ही घंटों में लाल रक्त-कोशिकाएं और प्लेटलेट्स बढ़ जाते हैं, जिससे थक्का बनने लगता है.
लिथुआनिया में की गई एक स्टडी को फरवरी 2023 में प्रकाशित किया गया, जिसमें पता चला कि हर एक “बहुत ठंडा दिन” इस्केमिक स्ट्रोक (जब मस्तिष्क में रक्त का थक्का रक्त वाहिका को अवरुद्ध कर देता है और ब्रेन के हिस्से तक ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं पहुंच पाता) के जोखिम को करीब 3 फीसदी तक बढ़ा देता है. यानी जैसे-जैसे सर्दी तेज होती है, दिमाग की नसों के रुकने की संभावना भी उसी अनुपात में बढ़ती जाती है.
ठंड के समय शरीर गर्मी बचाने की कोशिश में बाहरी हिस्सों की रक्त-नलिकाओं को सिकोड़ देता है. इससे धमनियों में दबाव बढ़ता है और रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है. जब ब्लड फ्लो में रुकावट आती है, तब ब्रेन को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिल पाने से स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है. एक अध्ययन ने पुष्टि की कि ठंडे मौसम में उच्च रक्तचाप और धमनियों की सिकुड़न वाले लोग ज्यादा रिस्क में रहते हैं.
ठंड के दौरान थक्के बनने की प्रवृत्ति भी बढ़ जाती है. अनुसंधानों के अनुसार, सर्द वातावरण में थक्के बनाने वाले प्रोटीन और फाइब्रिनोजन का स्तर ऊपर जाता है, जिससे खून के रुकने की आशंका अधिक हो जाती है और यही इस्केमिक स्ट्रोक का मुख्य कारण होता है.
कुल मिलाकर, सर्दी में सिर्फ कांपना या ठिठुरना ही समस्या नहीं, बल्कि शरीर की अंदरूनी प्रतिक्रियाएं — जैसे वेसो-कन्स्ट्रिक्शन (नसों का सिकुड़ना), रक्तचाप बढ़ना, और ब्लड-विस्कोसिटी यानी खून का गाढ़ा होना यही स्ट्रोक जोखिम को चुपचाप बढ़ाती रहती हैं. ऐसे में अगर किसी व्यक्ति को पहले से हाई-बीपी, शुगर, दिल की बीमारी, या स्ट्रोक का इतिहास हो तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत होती है.
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केआर/