भारत पर्यावरण का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने को लेकर विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम : डॉ. जितेंद्र सिंह

New Delhi, 22 नवंबर . केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने Saturday को कहा कि India सस्टेनेबल प्रैक्टिस में एक्टिव पार्टिसिपेशन के साथ पर्यावरण का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने को लेकर का विश्व का नेतृत्व करने में पूरी तरह से सक्षम है.

Union Minister ने जलवायु परिवर्तन, पर्यावरणीय क्षरण, उभरती टेक्नोलॉजी से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए एक वैश्विक गठबंधन का आह्वान करते हुए कहा, “India ‘ग्रहीय संरक्षण’ के लिए एक वैश्विक आंदोलन का नेतृत्व करने में सक्षम है.

Lucknow के सीएमएस Kanpur रोड स्थित वर्ल्ड यूनिटी कन्वेंशन सेंटर में विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 26वें इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में ‘क्लाइमेट जस्टिस एंड प्लेनेटरी स्टीवर्डशिप : लीगल फ्रेमवर्क फॉर एग्जिटेंशियल चैलेंजेस’ पर एक पैनल डिस्कशन में Union Minister ने कहा, “आज न्यायाधीश संवैधानिक व्याख्या, वैज्ञानिक समझ और नैतिक जिम्मेदारी के चौराहे पर खड़े हैं, जिससे मानवता के भविष्य को आकार देने में उनकी भूमिका अहम बनी हुई है.”

Union Minister ने कहा, “पीएम मोदी के नेतृत्व में India ने पहले ही कई भविष्योन्मुखी मिशनों, डीप ओशियन मिशन और नेशनल क्वांटम मिशन से लेकर साइबर सिक्योरिटी, बायोटेक्नोलॉजी, एआई और अंतरिक्ष सुधारों में महत्वाकांक्षी पहलों तक में खुद को अग्रणी स्थान पर स्थापित कर लिया है.”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने India और ग्लोबल कम्युनिटी से आग्रह किया कि वे मौजूदा कानूनी ढाँचों को अपडेट करें, विशेष रूप से अंतरिक्ष और महासागरों जैसे क्षेत्रों में, जहां पारंपरिक कानून अब आधुनिक जटिलताओं का समाधान करने में सक्षम नहीं है.

उन्होंने कहा कि जलवायु, ऊर्जा, अंतरिक्ष या पर्यावरण से संबंधित प्रत्येक कानूनी निर्णय न केवल वर्तमान नागरिकों को, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी प्रभावित करता है.

Union Minister ने कहा कि भावी पीढ़ियों के अधिकारों की रक्षा करने तथा ग्रहीय संरक्षण को कायम रखने के लिए संविधानों, संधियों तथा न्यायालयीन निर्णयों में कर्तव्यों को शामिल किए जाने की जरूरत है.

Union Minister सिंह ने कहा कि जिस तरह अब चांद पर अवैध खनन देखा जा रहा है, उसी तरह डीप ओशियन में भी ऐसे ही खतरे मौजूद हैं, जहां महत्वपूर्ण खनिजों का विशाल भंडार है. उन्होंने आगाह किया कि कानूनी सुरक्षा उपायों के बिना, भविष्य में विवाद और पारिस्थितिक क्षति बढ़ सकती है.

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