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New Delhi, 22 नवंबर . केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने Saturday को कहा कि India हाइड्रोजन के हर मॉलिक्यूल में विश्वास पैदा कर रहा है. उन्होंने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम को लेकर जानकारी देते हुए एक वीडियो पोस्ट किया.
Union Minister ने जानकारी देते हुए लिखा, “ग्रीन हाइड्रोजन सर्टिफिकेशन स्कीम (जीएचसीआई) को इस वर्ष अप्रैल में लॉन्च किया गया था. यह स्कीम सुनिश्चित करता है कि हाइड्रोजन वास्तव में ग्रीन हो, जिसका उत्पादन रिन्यूएबल पावर का इस्तेमाल कर किया जाता है.”
Union Minister पुरी ने बताया कि आईओसीएल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी, एनआरएल और सीपीसीएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां 2030 तक 900 केटीपीए क्षमता विकसित कर रही हैं, जिससे ग्रे हाइड्रोजन को रिप्लेस करने और आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की बचत करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी.
वीडियो में दी गई जानकारी के अनुसार, India क्लीन एनर्जी के एक नए दौर में प्रवेश कर रहा है. देश की जीएचसीआई बताती है कि हाइड्रोजन को किस प्रकार मापा जाता है, मॉनिटर किया जाता है और वेरिफाई किया जाता है. यह स्कीम प्रोडक्शन से लेकर इस्तेमाल तक की इसकी यात्रा को ट्रैक करती है.
इस फ्रेमवर्क के तहत, केवल वही हाइड्रोजन ग्रीन माना जाता है जो रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल कर बनाया गया हो. इसी तरह, हर किलोग्राम हाइड्रोजन से 2 किलोग्राम से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड न निकलना इसे ग्रीन मानता है. India की हाइड्रोजन इकोनॉमी में ट्रांसपेरेंसी और ग्लोबल क्रेडिबिलिटी आए इसके लिए हर प्रोड्यूसर का ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफ्शिएंसी से मान्यता प्राप्त वेरिफिकेशन एजेंसियों से ऑडिट होना जरूरी है.
जीएचसीआई एक सर्टिफिकेशन से बढ़कर ओरिजिन की गारंटी है, इंटीग्रिटी, सस्टेनेबिलिटी और सेल्फ-सफिशिएंसी की मुहर है, जो पीएम मोदी के विजनरी लीडरशिप में India को एक ऐसे भविष्य की ओर ले जा रहा है जो ग्रीन, फेयर और भरोसेमंद है.
वीडियो के अनुसार, पानीपत, विजाग, बीना, नुमालिगा और ऑफशोर क्लस्टर्स के प्रोजेक्ट्स रिफाइनरियों और इंडस्ट्रीज में ग्रे हाइड्रोजन की जगह लेंगे, जिससे जल्द ही देश को जीवाश्म ईंधन आयात में 1 लाख करोड़ रुपए की बचत होगी.
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एसकेटी/