राजस्थान में बैल पालन के लिए 30,000 रुपए की मदद शुरू, 42,000 से ज्यादा आवेदन मिले

jaipur, 21 नवंबर . Rajasthan के Chief Minister भजन लाल शर्मा ने राज्य में पारंपरिक खेती के तरीकों और मवेशियों के बचाव को बढ़ावा देने के मकसद से एक अनोखी पहल शुरू की है.

इस योजना के तहत, Government उन चुने हुए छोटे और मामूली किसानों को हर साल 30,000 रुपए की आर्थिक मदद देगी, जो बैलों से अपने खेतों में खेती करते रहेंगे.

इस कदम का मकसद पारंपरिक और प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देना, मवेशियों के बचाव में मदद करना और कमजोर किसान समूह को आर्थिक राहत देना है.

अधिकारियों ने बताया कि आधुनिक खेती की मशीनरी के तेजी से बढ़ने के साथ, पिछले कुछ सालों में खेती में बैलों का इस्तेमाल तेजी से कम हुआ है. इस बदलाव ने न सिर्फ देसी मवेशियों की नस्लों की मांग कम की है, बल्कि उनके लंबे समय तक बचाव पर भी बुरा असर डाला है.

Government का मानना ​​है कि इस प्रोत्साहन से खेती में बैलों की भूमिका फिर से शुरू होगी, मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी, केमिकल पर निर्भरता कम होगी और पर्यावरण बचाने में मदद मिलेगी.

आर्थिक मदद के अलावा, राज्य Government खेतों में बायोगैस प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी भी देगी. बायोगैस अपनाकर किसान अपने फ्यूल और इनपुट कॉस्ट को कम कर सकते हैं, स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ा सकते हैं, और सीधे अपने खेतों में प्राकृतिक खाद बना सकते हैं.

अधिकारियों ने कहा कि इससे प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा मिलेगा और खेती की कुल उत्पादकता में सुधार होगा.

कृषि विभाग अभी उन किसानों का एक डेटाबेस तैयार कर रहा है जो खेती के लिए बैलों का इस्तेमाल करते हैं, जिसके आधार पर पात्र लाभार्थी को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा. विभाग यह पक्का करने के लिए फील्ड वेरिफिकेशन भी कर रहा है कि सिर्फ बैलों से खेती करने वाले असली लोगों को ही मदद मिले.

इस पहल का एक खास हिस्सा राज किसान साथी पोर्टल है, जो खेती की स्कीमों और किसान सेवाओं के लिए राज्य Government का डेडिकेटेड डिजिटल प्लेटफॉर्म है. यह पोर्टल किसानों को अलग-अलग स्कीमों के लिए रजिस्टर करने, एप्लीकेशन स्टेटस ट्रैक करने, एडवाइजरी एक्सेस करने और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट से समय पर अपडेट पाने में मदद करता है.

अधिकारियों के मुताबिक, राज किसान साथी पोर्टल पर 42,000 से ज्यादा एप्लीकेशन आ चुके हैं, जिनमें सबसे ज्यादा डूंगरपुर, बांसवाड़ा और उदयपुर जिलों से हैं. ऑनलाइन एप्लीकेशन प्रोसेस जारी है.

एसएके/एबीएम