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New Delhi, 21 नवंबर . आयुर्वेद में योगवाही औषधियां वे जड़ी-बूटियां या पदार्थ होते हैं, जो किसी दूसरी दवा या औषधि की शक्ति और प्रभाव को बढ़ा देती हैं. ये खुद कम मात्रा में काम करती हैं, लेकिन मुख्य औषधि को शरीर के टिश्यू तक तेजी से पहुंचाकर उसका असर दोगुना कर देती हैं.
सबसे प्रसिद्ध योगवाही काली मिर्च है. यह दवाइयों का अवशोषण कई गुना बढ़ा देती है. इसके अलावा, पिप्पली फेफड़ों और पाचन से जुड़ी दवाओं का असर तेज करती है, अदरक पाचन और रक्त संचार सुधारकर औषधियों को शरीर में आसानी से पहुंचाती है. शहद त्वचा, गला, फेफड़े और हृदय की दवाओं को जल्दी असरदार बनाता है और रक्त में शीघ्र अवशोषित होता है. वहीं, घी मेधा, याददाश्त और तंत्रिका तंत्र से जुड़ी औषधियों को गहराई तक ले जाने का काम करता है.
त्रिकुट (काली मिर्च, पिप्पली, सोंठ) एक संयुक्त योगवाही फॉर्मूला है, जो पाचन अग्नि बढ़ाकर दवाओं को जल्दी रक्त में पहुंचाता है. इसके अलावा, लहसुन रक्त प्रवाह बढ़ाकर दवाओं को पूरे शरीर में फैलाता है, तिल का तेल बाहरी इस्तेमाल में दवा को मांसपेशियों और त्वचा में अवशोषित कराता है और यष्टिमधु कफजन्य औषधियों का असर बढ़ाता है. गाय के घी और शहद का मिश्रण भी कई औषधियों का शोषण तेज करता है और धीरे-धीरे शरीर की धातुओं तक पहुंचाता है.
योगवाही औषधियां सबसे पहले अवशोषण बढ़ाती हैं. कई योगवाही आंतों की दीवार को थोड़ी देर खुला रखती हैं, जिससे दवा आसानी से अवशोषित हो जाती है. दूसरा, ये चयापचय धीमा करती हैं, जिससे दवा जल्दी टूटती नहीं और लंबे समय तक असर करती है. तीसरा, ये औषधि को लक्ष्य अंग तक पहुंचाती हैं. चौथा, ये पाचन अग्नि बढ़ाती हैं, जिससे औषधि बेहतर काम करती है और पांचवा, मधु और घी कोशिकीय अवशोषण को तेज करके दवा को कोशिकाओं तक आसानी से पहुंचाते हैं.
हालांकि, किसी भी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी का इस्तेमाल करने से पहले योग्य आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेना जरूरी है, वरना फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है.
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पीआईएम/एबीएम