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Lucknow, 21 नवंबर . Chief Minister योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में उत्तर प्रदेश जल संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय मॉडल बन गया है. ‘योगी का यूपी’ अन्य राज्यों के लिए नजीर बन गया है. योगी Government ने जल संरक्षण व संचय में ‘अमृत मिशन’ के तहत स्वच्छता के साथ 75 जिलों में जलाशय पुनरुद्धार एवं वर्षा जल संचयन की योजनाएं तेजी से लागू कीं.
52,000 से अधिक जलाशयों, तालाबों और टंकी प्रणालियों का संरक्षण और पुनरुद्धार ग्रामीण जल स्तर में सुधार लाया गया. यही नहीं, उत्तर प्रदेश ने बुंदेलखंड व विंध्य में ‘हर घर जल’ को भी अमलीजामा पहनाया. जल संकट से निपटने के लिए ‘जल संवर्धन जन आंदोलन’ चलाकर सामाजिक जागरूकता भी लाई जा रही है.
जलाशय पुनरुद्धार व वर्षा जल संचयन (अमृत मिशन) के तहत 75 जनपदों में जलाशयों का पुनरुद्धार व सौंदर्यीकरण कार्य पूरा किया गया. वहीं, अमृत मिशन 2.0 के तहत शहरी क्षेत्रों में जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा तैयार किया गया. 52,000 से अधिक तालाबों व जलाशयों का पुनरुद्धार कार्य किया गया. इससे ग्रामीण जलस्तर में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया गया.
Governmentी रिपोर्ट के अनुसार, 22,000 से अधिक जल संरचनाओं में पानी की उपलब्धता बढ़ी है. नहर व्यवस्था को मजबूत बनाने के उद्देश्य से 95 नई परियोजनाएं स्वीकृत हुईं.
इन परियोजनाओं के पूर्ण होने से 36 हजार हेक्टेयर भूमि में सिंचाई क्षमता पुनर्स्थापित होगी. इससे 9 लाख किसानों व ग्रामीण आबादी को भी प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा. साथ ही 273 हेक्टेयर विभागीय राजकीय भूमि को भी संरक्षित किया जा सकेगा.
भूजल उपयोग की निगरानी के लिए सेंसर आधारित जलमापन यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है. यूपी में भूजल पुनर्भरण के प्रयास भी किए जा रहे हैं. इसके अंतर्गत लगभग 42 हजार से अधिक संरचनाओं (रेन वाटर हार्वेस्टिंग, चेक डैम) आदि का निर्माण किया गया. इस व्यापक अभियान ने भूजल पुनर्भरण में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करने में मदद की. योगी Government ने सामाजिक जागरूकता (विद्यालय अभियान) के तहत 1.20 लाख से अधिक विद्यालयों व 50 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों में जल संरक्षण अभियान लागू किया. इसके जरिए बच्चों व युवाओं के माध्यम से सामुदायिक व्यवहार में बदलाव लाकर जल आंदोलन को सामाजिक बल प्रदान किया गया.
हर घर तक जल पहुंचाने की दिशा में डबल इंजन Government द्वारा किए गए कार्यों की बदौलत उत्तर प्रदेश ने नए प्रतिमान स्थापित किए हैं. मीरजापुर में 12 विकासखंड और 809 ग्राम पंचायतें हैं. यहां जलस्तर में गिरावट और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती थी. गर्मियों में कई इलाकों में हैंडपंप और कुएं सूख जाते थे. कम वर्षा के कारण भूजल स्तर गिरने से सिंचाई संकट गहरा जाता था. इससे निजात दिलाने और वर्षा जल संचयन के लिए 24 फरवरी 2024 से विशेष अभियान का शुभारंभ किया गया. यहां लोहंदी नदी का जीर्णोद्धार कराया गया. 15 किमी लंबी यह नदी 11 ग्राम पंचायतों से होते हुए गुजरती है. इसके 10.63 किमी क्षेत्र में मनरेगा के तहत कार्य कराए गए, शेष कार्य जनसहभागिता से कराए गए.
भूगर्भ जल विभाग द्वारा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान एवं जीआईसी में बड़े रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण कराया गया. सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली को बढ़ावा देते हुए एक वर्ष में कुल 3,894 हेक्टेयर में स्प्रिंकलर सिंचाई जोड़ी गई. पहले सूख चुके हैंडपंपों में अब पानी आ रहा है. जनपद के छह विकास खंडों में भूजल स्तर में औसतन 1 मीटर की बढ़ोतरी हुई है.
लोहंदी नदी के किनारे चितपुर, गोपालपुर आदि गांवों में भूजल स्तर 2.27 मीटर तक बढ़ा, जिससे सूखे कुएं और बोरवेल पुनर्जीवित हुए. सभी विकास खंड में भी जल उपलब्धता में सुधार हुआ. 3,894 हेक्टेयर में माइक्रो-इरिगेशन (स्प्रिंकलर ड्रिप) लगाकर जल की बचत की गई. 156 कृषि तालाबों और 4 नए चेक डैम से किसानों को सिंचाई सुविधा मिली, जिससे फसल उत्पादन बढ़ा. 4.23 लाख मानव-दिवस रोजगार (52% महिलाओं की भागीदारी) सृजित हुआ. पहले सूखे बोरवेल अब जल से भरपूर हैं, जिससे गांवों में सालभर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई.
जल संरक्षण के क्षेत्र में पीएम मोदी के आह्वान और योगी Government की पहल से परिवर्तन की तस्वीर दिखाई दे रही है. जालौन जिले के कोच तहसील क्षेत्र के ग्राम सतोह से निकलने वाली 83 किमी लंबी नून नदी काफी समय से सूखी और गंदगी की चपेट में थी. स्थानीय लोगों को साथ लेकर नदी को पुनर्जीवित किया गया, फिर स्वच्छता का अभियान चलाया गया. वर्षा जल संचयन के लिए चेकडैम बनाए गए. नदी के दोनों ओर पौधरोपण किया गया. जनसहभागिता और स्थानीय प्रशासन के प्रयासों से यह नदी पुनर्जीवित हो गई. इस नदी के पानी का उपयोग अब सिंचाई में भी किया जा रहा है.
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एसके/एबीएम