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New Delhi, 21 नवंबर . Supreme court Friday को केरल में आने वाले लोकल सेल्फ-गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशन्स (एलएसजीआई) चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) को टालने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा.
Wednesday को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने याचिका को लिस्ट करने पर सहमति जताई, जब वकील ने कोर्ट को बताया कि एसआईआर प्रक्रिया अभी चल रही है, भले ही केरल में दिसंबर के दूसरे हफ्ते में लोकल बॉडी इलेक्शन होने वाले हैं.
केरल Government ने खुद Supreme court में एसआईआर की प्रक्रिया को टालने की मांग की है, क्योंकि पिछले हफ्ते हाई कोर्ट ने इस प्रक्रिया को टालने की मांग वाली उसकी रिट पिटीशन पर विचार करने से मना कर दिया था.
मैनपावर की भारी कमी का हवाला देते हुए राज्य Government ने तर्क दिया है कि एलएसजीआई चुनावों के साथ एसआईआर कराने से एडमिनिस्ट्रेटिव रुकावट पैदा हो जाएगी.
केरल Government ने याचिका में कहा है कि लोकल बॉडी इलेक्शन के लिए Government को 1 लाख 76 हजार से ज्यादा Governmentी और क्वासी-गवर्नमेंट कर्मचारियों और 68 हजार सिक्योरिटी स्टाफ चाहिए. पिटीशन में कहा गया है कि एसआईआर के तहत 25,668 और अधिकारियों की जरूरत है, जिनमें से कई ट्रेंड इलेक्शन स्टाफ के उसी लिमिटेड पूल से लिए गए हैं.
केरल पंचायत राज एक्ट, 1994 और केरल म्युनिसिपैलिटी एक्ट, 1994 के तहत कानूनी डेडलाइन का जिक्र करते हुए राज्य Government की अर्जी में कहा गया कि 21 दिसंबर से पहले एलएसजीआई चुनाव पूरे करना कानूनी तौर पर जरूरी है. साथ ही एसआईआर कराने से एडमिनिस्ट्रेशन पर दबाव पड़ेगा और चुनाव आसानी से होने पर बुरा असर पड़ेगा.
इसने कहा कि लोकल बॉडी के चुनाव 21 दिसंबर तक जरूरी तौर पर पूरे हो जाने चाहिए, लेकिन इस स्टेज पर एसआईआर को पूरा करने की कोई तुरंत जरूरत नहीं है, खासकर तब जब असेंबली चुनाव मई 2026 तक ही होने हैं.
याचिका में कहा गया कि जब संवैधानिक चुनाव चल रहे हों, तो बेवजह जल्दबाजी करके वेरिफिकेशन की क्वालिटी को कमजोर करना वोट देने के डेमोक्रेटिक अधिकार के खिलाफ है.
केरल हाई कोर्ट के सामने, चुनाव आयोग ने कहा था कि एसआईआर एक देशव्यापी काम का हिस्सा है और आधे से ज्यादा प्रोसेस पहले ही पूरा हो चुका है. इसे बीच में रोकने से अगले चुनावी साइकिल की तैयारियों में रुकावट आएगी.
जस्टिस वीजी अरुण की सिंगल जज बेंच ने कहा था कि चूंकि बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट के एसआईआर को चुनौती देने वाली ऐसी ही याचिकाएं पहले से ही Supreme court में पेंडिंग हैं, इसलिए न्यायिक अनुशासन और विनम्रता के कारण केरल हाई कोर्ट को इस मामले पर फैसला करने से बचना चाहिए.
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पीएसके