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New Delhi, 20 नवंबर . India की आईटी सर्विस और सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री की वृद्धि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका अहम होने जा रही है. Thursday को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक एआई-लेड प्रोजेक्ट के सेक्टर के राजस्व में 20 प्रतिशत तक का योगदान देने का अनुमान है.
इन्वेस्टमेंट बैंक इक्विरस कैपिटल की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई डिलीवरी मॉडल्स में परिवर्तन ला रहा है और भारतीय टेक कंपनियों के उत्पादन को 45-50 प्रतिशत तक बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
उत्पादन में यह तेजी भारतीय आईटी कंपनियों को डिलीवरी, प्लेटफॉर्म्स और टैलेंट डेवलमेंट में मजबूत और गहन एआई क्षमताओं को लाने के लिए प्रेरित कर रही हैं.
इक्विरस कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर और टेक एंड डिजिटल सेक्टर लीड संदीप गोगिया ने कहा, “भारतीय टेक फर्मों द्वारा एआई अडॉप्शन से प्राइसिंग मॉडल्स में टाइम एंड मटेरियल (टीएंडएम) से आउटकम-बेस्ड प्राइसिंग (ओबीपी) में बदलाव आ रहा है.”
रिपोर्ट बताती है कि मर्जर और एक्विजिशन की अगली लहर को तीन क्लस्टर गति देते नजर आएंगे, जिसमें एआई-इनेबल्ड डिलीवरी, एआई-इनेबल्ड प्लेटफॉर्म और एआई स्किल एडवांस्टमेंट शामिल है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि टेक सर्विस कंपनियां प्रोप्राइटरी आईटी, ऑटोमेशन फ्रेमवर्क और एआई-फर्स्ट डिलीवरी मॉडल्स वाली कंपनियों का तेजी से अधिग्रहण करेंगी. वे एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म, जो प्रोडक्ट आर्किटेक्चर में एआई को एम्बेड करेंगे महत्वपूर्ण रूप से राजस्व को लेकर उच्च गति और मजबूत इन्वेस्टर इंटरेस्ट का अनुभव करेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार, पॉलिसी सपोर्ट, टियर-2 और टियर-3 शहरों में विस्तार और India के टैलेंट पूल की वजह से कंपनियां हाई वैल्यू वर्क के लिए इन-डोर सेंटर्स की ओर बढ़ रही हैं. इसके साथ हमारा अनुमान है कि जीसीसी वित्त वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर जाएंगे.”
‘एआई अडॉप्शन’ यूनिट इकोनॉमिक्स के सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. India में बड़ी कंपनियां एआई-ड्रिवन ऑपरेशन ऑटोमेशन से 200 से 400 बीपीएस मार्जिन विस्तार का अनुभव कर रही हैं.
फर्म ने कहा कि लाभ कमाने वाली डिजिटल कंपनियां पहले से ही 2025 में 15-20 प्रतिशत वैल्यूएशन रि-रेटिंग का लाभ ले रही हैं.
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एसकेटी/