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तेल अवीव, 20 नवंबर . गाजा युद्ध से निपटते हुए इजरायल आगे बढ़ रहा है. देश मानता है कि उसके दुश्मनों की कमी नहीं है. बाहरी ताकतों से तो लड़ ही रहा है, लेकिन कुछ ऐसी अंदरुनी समस्याएं भी हैं जो उसे परेशान कर रही हैं. हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की गई जो फेमिसाइड में हो रही बढ़ोतरी को दर्शाती है. फेमिसाइड का मतलब किसी महिला या लड़की की जानबूझकर की गई हत्या है.
यह रिपोर्ट बताती है कि 2025 के दौरान महिलाओं की हत्या के मामलों में गंभीर बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इस साल कुल 32 महिलाएं ऐसी हिंसा की शिकार हुईं, जबकि पिछले साल यह संख्या 20 थी. यह बढ़त दिखाती है कि देश में महिला-सुरक्षा को लेकर हालात और अधिक चिंताजनक हो रहे हैं. घरेलू हिंसा और लैंगिक अपराध अब भी एक बड़ी सामाजिक चुनौती बने हुए हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई मामलों में अवैध हथियारों का इस्तेमाल किया गया. 2025 में दर्ज हत्याओं में 14 मामले ऐसे थे जिसमें गोली मार कर हत्या की गई थी, जिससे स्पष्ट होता है कि हथियारों तक अवैध पहुंच इस संकट को और गहरा कर रही है. यह समस्या किसी एक समुदाय तक सीमित नहीं है, बल्कि यहूदी और अरब दोनों समाजों में फैली हुई है.
इसी रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यह भी बताता है कि 2025 में 18 यहूदी इजरायलियों की हत्या फेमिसाइड के मामलों में हुई, जबकि पिछले साल यह संख्या 10 थी. यानी यहूदी समुदाय के भीतर भी महिला-हत्या के मामलों में लगभग दोगुनी वृद्धि दर्ज हुई है. यह तथ्य आने वाले समय के लिए और भी बड़ी चेतावनी है, क्योंकि यह दर्शाता है कि घरेलू और सामाजिक हिंसा का जोखिम कई स्तरों पर बढ़ रहा है. यह रिपोर्ट 25 नवंबर, ‘महिलाओं के विरुद्ध हिंसा उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ से ठीक पहले प्रकाशित की गई, ताकि इस वैश्विक मुद्दे पर इजरायल की गंभीर स्थिति भी सामने आ सके.
द टाइम्स ऑफ इजरायल ने ‘इजरायल ऑब्जर्वेटरी ऑन फेमिसाइड’ की निदेशक प्रोफेसर शल्वा वाइल के हवाले से बताया कि अब केवल Police कार्रवाई या घटना के बाद की जांच पर्याप्त नहीं है. जरूरत है उन नीतियों और तंत्रों की, जो शुरुआत में ही हिंसा के संकेतों को पहचानकर महिलाओं की जान बचा सकें.
वाइल ने नेसेट से आग्रह किया कि वह महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कानूनों, प्रभावी निगरानी और तेज कार्रवाई की व्यवस्था बनाए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इजरायल को इस्तांबुल कन्वेंशन स्वीकार करना चाहिए, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए दुनिया के कई देशों में लागू एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौता है.
रिपोर्ट यह भी बताती है कि कई बार खतरे के संकेत पहले से मौजूद होते हैं, लेकिन उन्हें समय पर गंभीरता से नहीं लिया जाता. विशेषज्ञों के अनुसार, स्कूलों, समुदायों और परिवारों के स्तर पर जागरूकता, परामर्श सेवाओं को मजबूत करना और जोखिम में जी रही महिलाओं की पहचान करना बेहद जरूरी है.
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केआर