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वॉशिंगटन, 20 नवंबर . दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए भारतीय सेना की ताकत बढ़ने वाली है. अमेरिका ने India को जेवलिन मिसाइल देने को मंजूरी दे दी है. इस मिसाइल को कंधे से टारगेट पर दागा जा सकता है. दरअसल, अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट ने India को एक्सकैलिबर प्रोजेक्टाइल और उससे जुड़े इक्विपमेंट की संभावित फॉरेन मिलिट्री सेल को मंजूरी देने का फैसला किया है.
अमेरिकी ऑफिशियल की ओर से साझा जानकारी के अनुसार, जेवलिन मिसाइल की अनुमानित कीमत 47.1 मिलियन डॉलर है. वहीं, India और अमेरिका के बीच लगभग 92.8 मिलियन डॉलर की डील हुई है. डिफेंस सिक्योरिटी कॉपरेशन एजेंसी ने जानकारी दी.
India Government ने 216 एम982ए1 एक्सकैलिबर टैक्टिकल प्रोजेक्टाइल की मांग की है. इसमें एंसिलरी आइटम, इम्प्रूव्ड प्लेटफॉर्म इंटीग्रेशन किट (आईपीआईके) के साथ पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक फायर कंट्रोल सिस्टम (पीईएफसीएस), प्राइमर, प्रोपेलेंट चार्ज, अमेरिकी Government की टेक्निकल मदद, टेक्निकल डेटा, रिपेयर और रिटर्न सर्विस, और लॉजिस्टिक्स और प्रोग्राम सपोर्ट के दूसरे संबंधित एलिमेंट शामिल होंगे.
इससे अमेरिका-India के स्ट्रेटेजिक रिश्ते को मजबूत करने और एक बड़े डिफेंस पार्टनर की सुरक्षा को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. दोनों देशों के बीच की यह डिफेंस साझेदारी इंडो-पैसिफिक और साउथ एशिया क्षेत्रों में Political स्थिरता, शांति और आर्थिक तरक्की के लिए India की ताकत बढ़ाएगी.
इस डील में मुख्य कॉन्ट्रैक्टर आरटीएक्स कॉर्पोरेशन होगा, जो अर्लिंग्टन, वीए में है. इस समय अमेरिकी Government को इस संभावित बिक्री के संबंध में प्रस्तावित किसी भी ऑफसेट समझौते के बारे में पता नहीं है. कोई भी ऑफसेट समझौता खरीदार और कॉन्ट्रैक्टर के बीच बातचीत में तय किया जाएगा.
वहीं, दूसरी डील के तहत India ने 100 एफजीएम-148 जेवलिन राउंड, 1 जेवलिन फ्लाई-टू-बाय मिसाइल और 25 हल्के कमांड लॉन्च यूनिट (एलडब्ल्यूसीएलयू) या ब्लॉक-1 सीएलयू की मांग की है.
जेवलिन एडवांस पोर्टेबल एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है. इसका निर्माण अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन और रेटियॉन ने मिलकर किया है. इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें जवान को टारगेट पर निशाना बनाए रखने की जरूरत नहीं होगी. मिसाइल में एक बार टारगेट लॉक करने के बाद यह खुद हिट करने वाले निशाने को ढूंढ लेता है. यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ युद्ध में यह मिसाइल कारगर साबित हुई है. इसकी वजह से इसे ‘टैंक किलर’ भी कहते हैं.
इस मिसाइल को लॉन्च करने के लिए किसी भी खास वाहन या लॉन्चर की जरूरत नहीं होती है. इसे सेना के जवान अपने कंधे पर रखकर दाग सकते हैं. मिसाइल को टारगेट पर लॉक करके इसे दागने के बाद पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं होती है.
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केके/डीकेपी